मार्गशीर्ष मास में गुरुवार के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा और व्रत का विधान होता है। आम दिनों में शुक्रवार के दिन देवी की पूजा होती है, लेकिन मार्गशीर्ष मास गुरुवार को पूजा करनी चाहिए। इस दिन देवी की कृपा से धन की बरसात होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। मार्गशीर्ष मास में देवी के निमित्त व्रत करने से मनुष्य के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इसलिए इस मास में विशेष कर भगवान श्रीकृष्ण और देवी लक्ष्मी की पूजा जरूर करनी चाहिए। मार्गशीर्ष मास को अगहन मास भी कहते हैं और ये महीना देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है। इसलिए मार्गशीर्ष मास के हर गुरूवार को मां लक्ष्मी का व्रत रखना चाहिए।
जानें, मार्गशीर्ष मास में मां लक्ष्मी के पूजन का महत्व
मार्गशीर्ष मास में गुरुवार को देवी की पूजा से मनुष्य के धन से जुड़े हर कष्ट दूर होते हैं। रोजगार, क्लेश और धन से जुड़े हर संकट इस पूजा और व्रत से दूर हो जाते हैं।
ऐसे करें देवी लक्ष्मी की पूजा
गुरुवार के दिन स्नान कर सर्वप्रथम चावल के आटे से रंगोली और चौक बना लें। इसके बाद देवी लक्ष्मी को चौकी पर लाल आसन देकर स्थापित करें। फिर देवी से समक्ष कलश स्थापित करें। गणपति भगवान की पूजा के बाद देवी की पूजा प्रारंभ करें। सुहाग के सामान के साथ पुष्प और धूप-दीप अर्पित करें। फिर देवी के मंत्र और आरती को करें और खीर का भोग लगाएं। इस दिन शाम को देवी के नाम पर दीपदान करें और शंख की पूजा भी करें। कोशिश करे की हर गुरुवार अलग-अलग भोग लगाएं। इसके बाद अपने मन का कष्ट देवी के समक्ष कहें।
देवी के इन मंत्रों का करें जाप
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।।
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्म्यै नमः।।
इन मंत्रों को आप शाम के समय देवी पूजा के बाद एक माला जरूर जपें।
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