Adhi vinayaka ganesh temple: आमतौर पर हम में से ज्यादातर लोगों ने अभी तक भगवान गणेश के गज रूप को ही देखा है। वास्तव में ज्यादातर मंदिरों में गज रूप में ही भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित है लेकिन भारत में एक ऐसा भी मंदिर है जहां गणेश की प्रतिमा नर रूप में स्थापित की गई है। यही इस मंदिर की खासियत है जिसके कारण दूर-दूर से लोग गणपति का दर्शन करने यहां आते हैं।
तमिलनाडु राज्य के कुटनूर से लगभग दो किलोमीटर दूर तिलतर्पण पुरी में आदि विनायक का एक मंदिर है जिसमें भगवान गणेश नर रूप में विराजमान हैं। इस अनोखी प्रतिमा को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा होती है। माना जाता है कि यह भारत का पहला ऐसा मंदिर है। आइये जानते हैं इस मंदिर की खासियत और इसके पीछे छुपी कहानी के बारे में...
एक मंदिर ऐसा भी जहां नर रूप में विराजे हैं श्रीगणेश
यह है कहानी
माना जाता है कि एक बार भगवान भोलेशंकर ने क्रोध में आकर श्रीगणेश का गर्दन धड़ से अलग कर दिया था उसके बाद उन्हें गज का मुख लगाया गया तब से उनकी प्रतिमा इसी रूप में स्थापित होती है। लेकिन आदि विनायक मंदिर में नर रूप में इस प्रतिमा के स्थापित होने के पीछे की कहानी न मालूम होने के कारण यह प्रतिमा लोगों के आश्चर्य का विषय है।
पितरों की शांति के लिए भी यहां होता है पूजन
आदि विनायक के इस मंदिर में एक बार भगवान राम ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजन किया था तभी से इस मंदिर में लोग अपने पितरों की शांति के लिए प्रार्थना करने आते हैं। इस कारण इस मंदिर को तिलतर्पणपुरी के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि यह मंदिर बहुत सामान्य सा दिखायी देता है लेकिन लोगों के बीच इसकी बहुत महत्ता है। तिलतर्पणपुरी शब्द में तिलतर्पण का मतलब पितरों को समर्पित और पुरी का मतलब शहर से है। इसलिए इसे संयुक्त रूप से पितरों को समर्पित शहर के नाम से भी जाना जाता है।
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