Mysterious Temples: चमत्‍कारी वीजा मंदिर, जहां हवाई जहाज चढ़ाते ही पूरा होता है विदेश जाने का सपना 

आध्यात्म
Updated Aug 20, 2018 | 14:15 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Visa Wale Balaji: विदेश जाने के लिए दो चीजों का होना एकदम जरुरी है, पहला पासपोर्ट और दूसरा वीजा। अगर आप को भी कई महीनों से वीजा नहीं मिल रहा है तो आन्ध्र प्रदेश स्थित चिल्कुर बालाजी के दर्शन कर आइये।

Visa Wale Balaji
Visa Wale Balaji  |  तस्वीर साभार: Instagram

नई दिल्‍ली: आपने अभी तक यह सुना होगा कि लोग मंदिर में जाकर अपने और अपने परिवार को सुखी और स्वस्थ रखने की प्रार्थना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा मंदिर भी है जहाँ लोग सुख समृद्धि की नहीं बल्कि विदेश जाने के लिए वीजा दिलाने की प्रार्थना करते हैं।

जी हाँ, हम बात कर रहे हैं हैदराबाद की सीमा से लगभग 40 किमी दूर स्थित चिल्कुर बालाजी (Chilkur balaji temple) के मंदिर की। आपकी जानकरी के लिए बता दें कि विदेश जाने के लिए दो चीजों का होना एकदम जरुरी है, पहला पासपोर्ट और दूसरा वीजा। पासपोर्ट बनना तो फिर भी आसान है लेकिन वीजा मिलना टेढ़ी खीर है।

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अगर आप को भी कई महीनों से वीजा नहीं मिल रहा है तो आन्ध्र प्रदेश स्थित चिल्कुर बालाजी के दर्शन कर आइये। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने और चढ़ावा चढाने से कुछ ही हफ़्तों में वीजा मिल जाता है। 


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हवाई जहाज का चढ़ाव
चिल्कुर बालाजी का ये मंदिर अपने चढ़ावे के लिए भी मशहूर है क्योंकि यहां पर 'हवाई जहाज' का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। लोगों का कहना है कि हवाई जहाज चढाने से वीजा मिलना और आसान हो जाता है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि वीजा के लिए दूतावास के चक्कर लगाने से अच्छा है आप चिल्कुर बालाजी मंदिर के चक्कर लगाएं। 

दिलाते हैं नौकरी भी
इस मंदिर को वीजा वाले बालाजी के नाम से भी जाना जाता है। यह प्राचीन मंदिर लगभग 500 साला पुराना है। कुछ सालों पहले तक लोग यहां नौकरी की मन्‍नतें लेकर भी आते थे और उनकी मनोकामना जल्दी पूरी हो जाती थी। लोक कथाओं के अनुसार वेंकटेश बालाजी के एक भक्त रोजाना कई किलोमीटर चलकर तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए जाते थे। 

एक रोज उनकी तबियत बिगड़ गयी और वे मंदिर नहीं जा पाए तो ऐसे में बालाजी खुद भक्त के सपने में आये और बोले कि इतनी दूर जाने की कोई आवश्यकता नहीं है, मैं यहीं तुम्हारे पास इस जंगल में रहता है। अगले दिन जंगल में उसी जगह पर मूर्ति की स्थापना की गई और आज वह मंदिर चिल्कुर बालाजी के नाम से मशहूर हैं।  

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