Nag Panchami 2021 Katha: नाग पंचमी पर करें इस पौराणिक कथा का पाठ, मिलेगा नाग देवता का आशीर्वाद

Nag panchami 20221 Katha: सनातन धर्म में नाग पंचमी का पर्व बेहद विशेष माना गया है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए।

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नाग पंचमी पर करें इस पौराणिक कथा का पाठ (Pic: Istock) 
मुख्य बातें
  • 2021 में 13 अगस्त के दिन पड़ रहा है नाग पंचमी का पर्व।
  • नाग पंचमी पर भगवान शिव, नाग देवता और 12 नागों की पूजा का है विधान।
  • नागपंचमी पर अवश्य करना चाहिए कथा का पाठ।

Nag panchami 2021 Katha In Hindi: सावन मास की शुक्ल पंचमी तिथि सनातन धर्म में बहुत विशेष मानी गई है। इस दिन भारत में नाग पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। नाग पंचमी के दिन शिव मंदिरों में भक्तों का भारी जमावड़ा लगता है। माना जाता है कि इस दिन भक्तों को भगवान शिव, नागदेव और 12 नागों की पूजा अवश्य करनी चाहिए। नाग पंचमी व्रत रखने वाले भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि नाग पंचमी का व्रत रखने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नाग पंचमी की पूजा के साथ भक्तों को कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। 

Nag panchami ki katha नाग पंचमी की कथा हिंदी में

बहुत समय पहले एक राज्य में सेठ रहा करता था जिसके सात बैठे थे। सेठ के सातों बेटों की शादी हो चुकी थी। सेठ की सबसे छोटी बहू बुद्धिमान और चरित्रवान थी। एक दिन बड़ी बहू घर की सभी बहुओं को मिट्टी लाने के लिए अपने साथ ले गई। मिट्टी खोदते समय बड़ी बहू को एक सांप दिखा जिसको वो खुरपी से मारने लगी। तभी छोटी बहू ने उसे रोक दिया और कहा कि इस सांप का कोई पाप नहीं है। सांप के पास जा कर छोटी बहू बोली कि 'तुम यहीं रुको हम थोड़ी देर में वापस आते हैं।' ऐसा बोलने के बाद सभी बहुएं घर वापस आ गईं। काम में व्यस्त हो कर छोटी बहू सांप को किया वादा भूल गई, इसी बीच सांप उसका इंतजार करता रहा। 

छोटी बहू ने सांप को बना लिया अपना भाई

दूसरे दिन जब छोटी बहू को सांप से किया वादा याद आया तब वो भागी-भागी सांप के पास गई। सांप के पास जाकर उसने उसे क्षमा मांगी और कहा की 'भैया मैं काम में व्यस्त हो कर अपना वादा भूल गई थी। सांप ने कहा कि 'तुमने मुझे अपना भाई माना है इसलिए मैं तुम्हें जाने दे रहा हूं वरना कोई और होता तो मैं उसे डस लेता।' इसके साथ, सांप ने कहा कि 'तुमने मुझे भाई बोला है तो, आज से, मैं तुम्हारा भाई हूं, तुम्हें जो मांगना है वो मांग लो।' तभी छोटी बहू ने कहा कि 'मेरा कोई भाई नहीं है, आज से आप मेरे भाई हैं।'

भाई बन कर छोटी बहू को अपने साथ ले गया सांप

कुछ दिन बाद, मनुष्य का रूप धारण करके सांप अपनी बहन को लेने आया। उस पर विश्वास करके घर वालों ने छोटी बहू को जाने दिया। सांप छोटी बहू को अपने घर ले गया जहां सांप का परिवार रहता था। सांप के घर में इतना सारा धन देखकर बहू हैरान हो गई। एक दिन सांप की मां ने छोटी बहू को कहा कि 'अपने भाई को ठंडा दूध पिला देना।' मगर छोटी बहू यह बात भूल गई और उसने सांप को गर्म को दूध पिला दिया जिसके वजह से सांप का मुंह जल गया। सांप की मां बहुत गुस्से में थी मगर सांप ने उसे समझाया। थोड़ी देर बाद सांप ने कहा कि अब बहन का घर जाने का समय आ गया है। घर से विदा करते समय सांप के परिवार ने छोटी बहू को सोना, चांदी, हीरे, मोती, कपड़े और गहनों से भर दिया। 

छोटी बहू के धन को देखकर बड़ी बहू को होने लगी जलन

जब छोटी बहू घर लौटी तब उसके धन को‌ देखकर बड़ी बहु को जलन होने लगी। गहनों के साथ सांप ने छोटी बहू को एक हीरे और मणी से बना हार दिया था। पूरे राज्य में इस हार की चर्चा होने लगी थी। जब रानी को पता चला तब उसने ये हार मंगवाया। छोटी बहू को ये पसंद नहीं आया और उसने सांप को बुला कर सारी बात बता दी। छोटी बहू ने भाई से आग्रह किया कि वो कुछ ऐसा करे जिससे ये हार छोटी बहू के गले में हार बन जाए और दूसरों के गले में सांप। बहन की बात मानकर भाई ने भी ऐसा ही किया। 

रानी के गले में सांप बन गया हार

जब रानी ने ये हार पहना तब उसके गले में हार सांप में बदल गया। रानी चीखने लगी। रानी की चीख सुनकर राजा ने छोटी बहू को लाने का आदेश दिया। जब छोटी बहू राजा और रानी के पास आई तब उसने बताया कि यह हार उसके गले में हार और दूसरे के गले में सांप बन जाता है। तब राजा ने छोटी बहू को हार पहनने के लिए कहा। छोटी बहू के गले में जाते ही सांप हार बन गया। यह चमत्कार देखकर राजा बहुत खुश हुआ और उसे धन-दौलत देकर भेज दिया। 

जलन के कारण छोटी बहू के पति के कान भरने लगी बड़ी बहू

छोटी बहू धन-दौलत लेकर घर पहुंची तब बड़ी बहू ये सब देख कर जलने लगी। वो छोटी बहू के पति के कान भरने लगी। सबसे छोटे बेटे ने अपनी पत्नी से धन, गहने और कपड़ों के बारे में पूछा। तब छोटी बहू सांप को याद करने लगी और उसके सामने सांप प्रकट हो गया। सांप ने अपनी बहन के पति से कहा कि अगर कोई भी उसकी बहन पर शक करेगा वह उसे डस लेगा। सांप को देखकर उसका पति बहुत खुश हुआ और सर्प देवता की सेवा करने लगा। इस दिन से महिलाएं सांप को अपना भाई मानकर विधि अनुसार पूजा करती हैं। 

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