Nariyal Purnima 2022: जानिए, कब है नारियल पूर्णिमा, इस दिन किस देवता की होती है पूजा, जानिए इससे जुड़ी विशेष बातें

Nariyal Purnima 2022 Puja Vidhi: नारियल पूर्णिमा के त्योहार 11 अगस्त गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। महाराष्ट्र में इस व्रत का विशेष महत्व है। नारियल पूर्णिमा के दिन समुद्र के देवता वरुण व इंद्र देवता की पूजा की जाती है।

Nariyal Purnima 2022
Nariyal Purnima  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • इस साल नारियल पूर्णिमा का त्योहार 11 अगस्त गुरुवार को मनाया जाएगा
  • यह त्योहार महाराष्ट्र सहित दक्षिण भारत में समुद्री क्षेत्र में मनाया जाता है
  • यह त्योहार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया के दिन शुरू होता है और पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है

Nariyal Purnima 2022 Shubh Muhurat: महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला त्योहार नारियल पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन हर साल मनाया जाता है। इस साल नारियल पूर्णिमा का त्योहार 11 अगस्त गुरुवार को मनाया जाएगा। यह त्योहार महाराष्ट्र सहित दक्षिण भारत में समुद्री क्षेत्र में मनाया जाता है। इसे नारली पूर्णिमा भी कहते हैं। यह त्योहार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया के दिन शुरू होता है और पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है। नारियल पूर्णिमा के दिन समुद्र के देवता भगवान वरुण की विधि विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान समुद्र देवता को रक्षा सूत्र व नारियल चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन समुद्र देवता की विधि विधान से पूजा करने पर भक्तों के हर कष्ट दूर हो जाता है। आइए जानते हैं नारियल पूर्णिमा का महत्व वह पूजा विधि के बारे में...

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जानिए शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 अगस्त, 2022 सुबह 10:38 से शुरू होगी। पूर्णिमा तिथि समाप्त 12 अगस्त, 2022 सुबह 7:05 बजे होगी।

इन देवता की होती है पूजा
नारियल पूर्णिमा के दिन समुद्र के देवता वरुण व इंद्र देवता की पूजा होती है। यह त्योहार ज्यादातर मछुआरे मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि मछुआरे इसी दिन से मछली पकड़ने की शुरुआत करते हैं। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं व व्रत के दौरान फल वह नारियल ही खाते हैं।

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ऐसे करें पूजा
नारियल पूर्णिमा के दौरान पूजा करते वक्त नारियल को पीले वस्त्र में लपेट कर उसे केले के पत्ते पर रखकर अच्छे से सजाते हैं। फिर उसे जुलूस के रूप में ले जाते हैं। फिर इसे शिखा समुद्र की ओर रखकर विधिवत पूजा अर्चना करते हैं और समुद्र देव को नारियल अर्पित करते हैं। इस दिन नारियल समुद्र में बहा दिया जाना चाहिए। दक्षिण भारत में यह त्योहार हर समाज व वर्ग अपने तरीके से मनाता है। इसके साथ ही इस दिन जनेऊ धारण करने वाले अपना जनेऊ बदलते हैं।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
 

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