Navratri 2021 Day 2, Maa Brahmacharini Puja Vidhi: नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए विधि, मुहूर्त, मंत्र, आरती और पौराणिक कथा

Navratri 2021 2nd Day Maa Brahmacharini Puja Vidhi, Mantra, Aarti: मां ब्रह्मचारिणी को माता का अविवाहित स्वरूप माना गया है। देखें उनकी पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, आरती और पौराणिक कथा।

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Navratri 2021 Day 2: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कैसे करें, देखें मंत्र, कथा और आरती 
मुख्य बातें
  • नवरात्रि के दूसरे दिन माता के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है।
  • ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह की शासक और भाग्य की दाता हैं, इस दिन माता की पूजा अर्चना करने से मंगल दोष से मिलती है मुक्ति और सभी कष्टों का होता है नाश।
  • हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या के बाद मां ब्रह्मचारिणी को प्राप्त हुए थे भगवान शिव।

Navratri 2021 2nd Day Maa Brahmacharini Puja Vidhi and Mantra:  नवरात्रि के दूसरे दिन माता के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। इस दिन विधि विधान से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हांथ में माला और दूसरे हाथ में कमंडल विराजमान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये माता का अविवाहित स्वरूप है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कई हजार वर्षों तक ब्रम्हचारी रहकर घोर तपस्या की थी। माता की इस तपस्या के कारण उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।

माता को हरा रंग अत्यंत प्रिय है। इस दिन विधि विधान से माता की पूजा अर्चना कर गुड़हल का फूल चढ़ाने व मिठाई का भोग लगाने से तप, त्याग, संयम और सदाचार जैसे गुणों में वृद्धि होती है। शास्त्रों के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह की शासक और भाग्य की दाता है, माता भक्तों के सभी कष्टों का निवारण करती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, सामग्री, मंत्र, आरती, शुभ मुहूर्त, कहानी और व्रत कथा के बारे में।

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Maa Brahmacharini Puja Vidhi in hindi, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से पहले कलश देवता और भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें। इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले माता को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर, पान, सुपारी आदि अर्पित करें। बता दें माता को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है। ऐसे में कोशिश करें की माता को सफेद फूल अर्पित करें और सफेद मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी के व्रत कथा का पाठ करें। फिर माता की आरती करें।

Maa Brahmacharini Puja Mantra, मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दधाना कर पद्मभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
ओम दवी ब्रह्मचारिण्यै नम:।।

Maa Brahmacharini beej mantra, मां ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र

ब्रह्मचारिणी: हीं श्री अम्बिकायै नम:।


Maa Brahmacharini ki aarti in hindi, मां ब्रह्मचारिणी की आरती

जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन को भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा
जिसको जपेसकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता
कमी कोई रहने ना पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला लेकर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा देकर।
आलस छोड़ करे गुणगान
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।

Navratri 2021 Rashifal: शारदीय नवरात्रि का राशिफल

Maa Brahmacharini vrat katha, मां ब्रह्मचारिणी की पौराण‍िक कहानी 

पौराणिक कथाओं के अनुसार सती के रूप में यज्ञ की अग्नि में स्वयं को भस्म कर देने के बाद माता ने पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। उनका नाम पार्वती या हेमावती रखा गया। वह भगवान शिव को अपने पति के रूप में स्वीकारना चाहती थी इसलिए ब्रह्मा जी के मानस पुत्र नारद जी ने उन्हें कठोर तप करने की सलाह दी। नारद मुनि की बात मानकर वह कन्या कठोर तप करने लगी, जिसके कारण उनका नाम ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी रखा गया। कहा जाता है कि इस कड़ी तपस्या के चलते माता ने तीन हजार वर्षों तक सिर्फ फल-फूल और टूटे हुए बिल्वपत्र का सेवन किया। इतना ही नहीं इसके बाद तो माता ने सूखे बिल्वपत्र खाना भी छोड़ दिया और हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्यी करती रही। 

कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर क्षीण हो गया था। माता की कठिन तपस्या को देख सभी देवी देवताओं और ऋषि मुनियों ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए और वरदान दिया कि उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी और ठीक वैसा ही हुआ।

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