Navratri 2022 8th Day, Maa Mahagauri Vrat Katha In Hindi: नवरात्र की अष्टमी पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। हिंदू शास्त्र के अनुसार इस दिन महागौरी की पूजा के साथ कन्या भोजन कराने से जगदंबिका पूजा को स्वीकार कर सभी मनोकामना को शीघ्र पूर्ण कर देती हैं। शास्त्र में नवरात्रि की अष्टमी पूजा (navratri day 8 vrat katha) का विशेष महत्व है। असुरों का संहार करने और देवताओं का कल्याण करने के लिए ही माता को अस्त्र-शस्त्र धारण करना पड़ा था। आदिशक्ति होने के बावजूद नव दुर्गे माता को महागौरी का स्वरूप क्यों लेना पड़ा, यहां आप इस कथा (maa Mahagauri vrat katha in hindi) के माध्यम से जान सकते हैं।
मां महागौरी व्रत कथा, Maa Mahagauri Vrat Katha
पौराणिक कथाओं (Mahagauri vrat kahani in hindi) के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने कठिन तपस्या की थी, हजारों वर्षों तक माता ने अन्न जल ग्रहण नहीं किया था। जिससे माता का शरीरर काला पड़ गया था। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें स्वीकार किया और माता के शरीर को गंगाजल से धोकर अत्यंत कांतिमय बना दिया। माता का स्वरूप गौरववर्ण हो गया। जिसके बाद माता पार्वती के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया है। माता के इस स्वरूप की विधिवत पूजा अर्चना करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है तथा घर में सुख समृद्धि का वास होता है।
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दूसरी कथा
वहीं माता के इस स्वरूप को लेकर एक और पौराणिक कथा काफी प्रचलित है। कालरात्रि के रूप में सभी राक्षसों का वध करने के बाद भोलेनाथ ने देवी पार्वती को काली कहकर चिढ़ाया था। माता ने उत्तेजित होकर अपनी त्वचा को पाने के लिए कई दिनों तक ब्रह्मा जी की कड़ी तपस्या की, ब्रह्मा जी ने तपस्या से प्रसन्न होकर मां पार्वती को साक्षात दर्शन दिया और हिमालय के मानसरोवर में स्नान करने के लिए कहा। ब्रम्हा जी की सलाह पर मां पार्वती ने मानसरोवर में स्नान किया, स्नान करते ही माता का शरीर दूध की तरह सफेद हो गया। माता के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया।
तीसरी कथा
धार्मिक ग्रंथों की मानें तो एक सिंह भूख से तड़प रहा था और इधर उधर भोजन की तलाश में घूम रहा था। भोजन की तलाश में वह एक पहाड़ पर जा पहुंचा, जहां देवी उमा तपस्या कर रही थी। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गई और देवी की तपस्या खत्म होने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। देवी के इंतजार में वह भूख के मारे काफी कमजोर हो गया। तपस्या से उठने के बाद माता को उसकी हालत देख दया आ गई। मां ने उसे अपना वाहन बना लिया, क्योंकि उसने भी कड़ी तपस्या की थी।
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