श्राद्ध पितरों के निमित किया जाता है और उनके ही निमित भोज भी कराया जाता है। मान्यता है कि जो कुछ भी पितरों के नाम पर उनके वंशज पितृपक्ष में करते हैं, वह सब उनके पितरों को मिलता है, लेकिन यह दान और भोज उन तक किस माध्यम से पहुंचता है, इसे जान लेना चाहिए। यानी जब भी श्राद्ध का भोज कराएं, उसे पांच स्थान या पांच प्राणियों के पास जरूर रखें।
पितरों के तर्पण और पिंडदान के साथ ही भोज का भी बहुत महत्व होता है। इसलिए आपका पंचबलि कर्म के बारे में जानना जरूरी है। तो आइए आपको इससे जुड़ी सभी बातों से परिचित कराएं।
क्या है पंचबलि कर्म
पंचबलि कर्म का मतलब है, ब्राह्मण के अलावा चार अन्य प्राणियों के लिए पितरों के नाम पर भोजन खिलाना। पंचबलि में गाय, कुत्ता, चींटी और कौवा आते हैं। इन पांच लोगों के लिए पांच स्थान पर भोज रखना चाहिए। यहां पंचबलि का मतलब होता है पांच लोगों के भोज से।
श्राद्ध यदि विधिवत किया जाए तो वह पितरों तक निश्चित रूप से पहुंचता है। मान्यता है कि इन पंचबलि के मुख से सीधे पितरों को भोजन मिलता है।
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