Panchmukhi Ganesh: पंचमुखी श्री गणेश की पूजा करना होता है बेहद शुभ, सारे विघ्नों को हर लेते हैं विघ्नहर्ता

Panchmukhi Ganesh Worship: श्रीगणेश की पूजा किसी भी नए या शुभ कार्य को शुरू करने से पहले की जाती है। भगवान गणेश अपने भक्तों के सारे कष्ट और दु:खों को हर लेते हैं। इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। लेकिन पंचमुखी गणेश की पूजा करना शुभ और मंगलकारी होता है। पंचमुखी गणेश के पांच कोश को वेद में सृष्टि की उत्पत्ति, विकास, विध्वंस और आत्मा बताया गया है।

Panchmukhi Ganesh
पंचमुखी गणेश 
मुख्य बातें
  • गणेश जी का पांच मुख सृष्टि के पांच रूपों का प्रतीक है
  • सृष्टि के पांच कोशों से मुक्त मनुष्य हो जाता है ब्रह्मलीन
  • इंदौर में है दुनिया का एकमात्र पंचमुखी श्री अर्केश्वर गणेश मंदिर

Panchmukhi Ganesh Worship Benefits: हिंदू धर्म में भगवान श्रीगणेश की पूजा का विधान सभी देवी-देवताओं में सबसे पहले है। किसी भी देवी-देवता की पूजा करने, या किसी नए कार्य को शुरू करने या शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि भगवान श्री गणेश दुखों और कष्ट को हर लेते हैं और इनकी पूजा करने से सारी दुख और परेशानी दूर हो जाती है। इसलिए किसी कार्य में सबसे पहले गणेशजी की पूजा करने से सभी कार्य अच्छे से संपन्न होता है।

भगवान गणेश के स्वरूपों में पंचमुखी गणेश का भी महत्व होता है। पंचमुखी का मतलब होता है पांच मुंह वाले गणेश। गणेश जी के पंचमुख को पांच कोश का प्रतीक भी कहा जाता है। इन पंचकोश को पांच तरह के शरीर कहा जाता है। इनमें पहला कोश अन्नमय, दूसरा प्राणमय, तीसरा मनोमय, चौथा विज्ञानमय और पांचवा आनंदमय होता है। जानते हैं भगवान गणेश के पंचमुखी या पंच कोश के बारे में।

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  1. अन्नमय कोश (Annamay Kosh) - संपूर्ण जड़ जगत धरती, तारे, ग्रह, नक्षत्र आदि। ये सभी अन्नमय कोश कहलाते हैं।
  2. प्राणमय कोश (Pranamay Kosh)- दूसरे कोश प्राणमय जड़ में प्राण आने से वायु तत्व जागता है और उससे कई तरह के जीव प्रकट होते हैं। इसलिए इसे प्राणमय कोश कहा जाता है।
  3. मनोमय कोश (Manomay Kosh)– इसे शरीर का तीसरा कोश कहा जाता है, जो प्राणियों के मन में जाग्रत होता है। जिनमें मन अधिक जानता है नहीं प्राणी मनुष्य बनता है।
  4. विज्ञानमय कोश (Vigyanmay Kosh)- विज्ञानमय कोश बिल्कुल अलग प्रकृति का है। जिस सांसारिक माया भ्रम का ज्ञान प्राप्त होता है। सत्य के मार्ग चलने वाली बोधि विज्ञानमय कोश में होता है।
  5. आनंदमय कोश (Anandmay Kosh)-   ईश्वर और जगत के मध्य की कड़ी है आनंदमय कोश। कहा जाता है कि इस कोश से ज्ञान प्राप्त करने के बाद मानव समाधि युक्त अधिमानव बन जाता है। वहीं जो भी मानव इन पांचों कोशों से मुक्त होता है, वह मुक्त मुनष्य ब्रह्मलीन हो जाता है।

सृष्टि के इन्ही पांच कोशों को गणेश जी के पंचमुख का प्रतीक माना जाता है। इसलिए घर पर पंचमुखी भगवान गणेश की फोटो लगाना शुभ और मंगलकारी माना जाता है। इसे घर में उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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