बचपन से ही बच्चों के अंदर हमें कई अच्छी आदतें डालनी चाहिए जो उनको ताउम्र काम आएंगी। बचपन में दिए गए सीख बच्चे कभी नहीं भूलते हैं और उनके संस्कार उन्हें जीवन में बहुत आगे ले जाते हैं। बच्चों को सही सीख सिखाने के लिए और उनके जेहन में अच्छी आदतें डालने के लिए सबसे अच्छा तरीका कहानी सुनाने का है। जैसे हम सभी को दादा-दादी और नाना-नानी की कहानियों को सुनकर बड़े हुए हैं वैसे ही हमें अपने बच्चों को भी कहानियां सुनाना चाहिए। अगर आपको कोई कहानी याद नहीं आ रही है तो यह लेख आपकी बहुत मदद करेगा।
आज हम आपके लिए एक साधु और चूहे की कहानी लेकर आए हैं जिसे सुनाने के बाद आपके बच्चों को बहुत ही अनमोल सीख मिलेगी।
एक समय की बात है, एक बड़े और घने जंगल के पास एक गांव था। उस गांव में एक भव्य मंदिर था जिसकी देखभाल एक साधु करता था। वह सुबह जल्दी उठकर भगवान की पूजा करता था फिर उसे जो भी लोग मिलते थे उन सभी को धर्म का उपदेश देता था। जब भी भक्त मंदिर आते थे, वह साधु को दान में देने के लिए खाना और कपड़ा साथ लेकर आते थे। दान में दिए गए खाने और कपड़े के वजह से साधु के पास कमी नहीं रहती थी। खाना खाने के बाद साधु के पास जो खाना बच जाता था उसे वह झोले में रखकर छत पर टांग दिया करता था।
ऐसे ही समय बिता रहा था, फिर उसके साथ कुछ अजीब-सी घटना घटने लगी। उसने देखा कि सुबह झोला खाली रहता था। वह बहुत परेशान हुआ फिर उसने यह सोचा कि वह रात में जग कर देखेगा की बचा हुआ खाना आखिर जाता कहां है। जब रात हुई तो वह पहले की तरह खाना खाकर बचा हुआ खाना झोले में रख दिया और दरवाजे के पीछे छुप कर देखने लगा। उसने देखा कि एक छोटा सा चूहा छत पर चढ़कर उसका भोजन निकाल के ले जा रहा था। अगले दिन उसने वह झोला और ऊपर टांग दिया ताकि वह चूहा वहां तक ना पहुंच सके। लेकिन चूहा बहुत चालाक था, उसने एक लंबी छलांग लगाई और वह झोले में से खाना निकालने में सफल रहा। साधु यह देखकर हैरत में पड़ गया।
अगली सुबह वह उस चूहे से अपने बचे हुए खाने को बचाने के लिए तरकीब सोच रहा था तभी एक दरिद्र व्यक्ति वहां आया। उस दरिद्र व्यक्ति ने साधु को उदास देख उसकी परेशानी पूछी, फिर साधु ने उस व्यक्ति को सब बता दिया। उस व्यक्ति ने साधु को यह पता लगाने के लिए कहा कि आखिर चूहे को इतनी शक्ति मिलती कहां से है। इस प्रश्न का जवाब पाने के लिए दोनों चूहे के बिल का पता लगाने लगे। चूहे का पीछा करते-करते उन्हें उसका बिल मिल गया, जब वह चूहा बाहर गया तब उन्होंने उसके पीठ पीछे से बिल को खोदा और जो उन्होंने देखा उसे देखकर वह भौंचक्के रह गए थे। चूहे के बिल के अंदर खाने का एक बहुत बड़ा भंडार रखा हुआ था। उन्हें पता चल गया कि चूहे को यही खाना खाकर इतनी शक्ति मिलती है। चूहे के द्वारा इकट्ठा किए गए खाने को वह अपने साथ ले गए और गरीबों में बांट दिए।
चूहा जब सेर करके वापस आया तो उसने देखा कि उसका पूरा खाना गायब है। यह देखकर चूहे का आत्मविश्वास डगमगा गया और वह इस सोच में डूब गया कि अब उसको वापस मेहनत करके खाना इकट्ठा करना पड़ेगा। रात में जब चूहा खाना इकट्ठा करने के लिए वापस साधु के घर गया तो आत्मविश्वास की कमी के कारण वह लंबी छलांग नहीं मार पाया। चूहे को देखकर साधु ने भी उसको वहां से भगा दिया था।
सीख- हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमारे पास मौजूद संसाधन हमें आत्मशक्ति प्रदान करते हैं। लेकिन जब यही संसाधन हमारे पास से चले जाते हैं तो हमारा आत्मविश्वास डगमगाने लग जाता है। इसीलिए हमें अपने पास मौजूद संसाधनों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
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