लाक्षागृह से निकल इस मंदिर में आए थे पांडव, यहां के सरोवर में नहोने से दूर होता है त्वचा रोग

आध्यात्म
Updated Jun 13, 2019 | 10:01 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

गाजियाबाद स्थित डासना देवी का मंदिर का इतिहास ही नहीं यहां स्थित सरोवर में चमत्कारिक गुणों से भरा है। जानिए इसके रोचक इतिहास और सरोवर के औषधिय गुणों के बारे में।

डासना देवी का मंदिर
डासना देवी का मंदिर  |  तस्वीर साभार: Representative Image

करीब पांच हजार साल पुराना डासना देवी का मंदिर पुशराम जी ने स्थापित किया था। इस मंदिर के इतिहास ने बहुत कुछ समेटे हुआ है। महाभारत काल में पांडवों यहां आना और विदेशियों के आतंक से मंदिर को बचाने की लोगों की तरकीब तक इस इतिहास में शामिल है। यही नहीं यहां मां की मूर्ति का विशेष पत्थर भी बहुत मायने रखता है।

इतना ही नहीं यहां का सरोवर भी मंदिर की तरह ही अपने चमत्कारिक गुणों के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि इस सरोवर में औषधिय गुण भरे हैं और यहां आने वाले अगर यहां मां के दर्शन के बाद स्नान करते हैं तो उनकी कई समस्याएं दूर हो जाती हैं। तो आइए आज इस मंदिर के इतिहास और सरोवर की महत्ता जानें।

लाक्षागृह से निकल यहीं पहुंचे थे पांडव
महाभारत काल में जब पांडव लाक्षागृह से बचकर निकले थे तो गाजियाबाद के डासना स्थित डासनादेवी मंदिर में ही आकर रुके थे। पांडवों ने मां के शरण में कुछ वक्त काटा था। हालांकि ये मंदिर रामायण काल में ही बन चुका था और यहां भगवान की प्राणप्रतिष्ठा स्वयं पुशराम जी ने की थी।

विदेशियों के आंतक से छुपा दी भगवान की मूर्ति
विदेशियों के आतंक से मंदिर को बचाने और भगवान को सुरक्षित रखने के लिए भक्तों ने उन्हें पास के सरोवर में छुपा दिया था। सालों साल मूर्तियां सरोवर में ही दबी रहीं। इस मंदिर में शिवजी, हनुमानजी, नवदुर्गा, सरस्वती माता की मूर्ति स्थापित थी। यह स्थान प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में पौराणिक इतिहास में जाना जाता है।

माता की मूर्ति का पत्थर है बेहद खास
डासना देवी मां की मूर्ति जिस पत्थर से बनी है वह बहुत ही खास पत्थर माना जाता है। ऐसा बताया जाता है कि पूरे देश में केवल दो ही मूर्तियां इस पत्थर की बनी हैं। एक मां काली की और एक डासना देवी की। ये पत्थर कसौटी पत्थर कहलाता है।

पुन: सरोवर से निकाल मंदिर में स्थापित हुई थीं प्रतिमाएं
स्वामी जगदगिरि महाराज ने सरोवर से प्रतिमाओं को निकाल कर पुन: मंदिर में स्थापित करवाया था। कहते हैं माता ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दे कर खुद को तालाब से निकालने की आज्ञा दी थी।

सरोवर में नहाने का है अद्भुद लाभ
कहते हैं मंदिर के पास में जिस सरोवर में सालों भगवान की प्रतिमाओं को छुपा कर रखा गया था वह सरोवर चमत्कारिक रूप से भरा हुआ है। इसमें स्नान करने वालों के चर्म रोग ही नहीं कुष्ठ रोग तक ठीक हो जाते हैं।

मंदिर में नवरात्रि के समय विशेष पूजन किया जाता है और यहां आने वाले भक्तों पर माता कि विशेष कृपा होती है। अष्टमी और नवमी को यहां जरूर आना चाहिए।

धर्म व अन्‍य विषयों की Hindi News के लिए आएं Times Now Hindi पर। हर अपडेट के लिए जुड़ें हमारे FACEBOOK पेज के साथ। 

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

अगली खबर