Papmochani Ekadashi 2022 Date, Time, Puja Muhurat in India: भारतीय जन जीवन में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। विष्णु पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार हर वैष्णव को एकादशी का व्रत करना चाहिए। एकादशी महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आती है। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी (Papmochani ekadashi 2022 date) के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार पापमोचिनी एकादशी सभी एकादशी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ होती है। पद्म पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार हजारों वर्षों तक तपस्या, स्वर्ण दान से भी ज्यादा पुण्य पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने से मिलता है। इस दिन व्रत कर विधि विधान से श्री हरि भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से पापों का नाश होता है और धरती पर समस्त सुखों को भोगने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और प्रायश्चित के लिए भी विशेष माना गया है। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर और अर्जुन को पापमोचिनी एकादशी का महत्व बताया था। इस बार पापमोचिनी एकादशी 28 मार्च 2022, सोमवार को है। इस व्रत को करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है। इस दिन गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए, खासतौर से गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं साल 2022 में कब है पापमोचिनी एकादशी, शुभ मुहूर्त (Papmochani ekadashi 2022 date And Shubh Muhurat) और इसका महत्व।
Papmochani ekadashi 2022 date, पापमोचिनी एकादशी 2022 कब है
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पाप मोचिनी एकादशी मनाई जाती है, इस बार पापमोचिनी एकादशी 28 मार्च 2022, सोमवार को है। एकादशी तिथि 27 मार्च 2022, रविवार को शाम 06 बजकर 04 मिनट से शुरू होकर 28 मार्च, सोमवार को शाम 04 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगा। ध्यान रहे उदयातिथि के आधार पर पापमोचिनी एकादशी का व्रत 28 मार्च को रखा जाएगा।
पापमोचिनी एकादशी का महत्व, Papmochani ekadashi vrat significance
पापमोचिनी एकादशी का व्रत श्रीहरि भगवान विष्णु को समर्पित है, इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है तथा धन्य धान की कभी कोई कमी नहीं होती। मान्यता है कि संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत बेहद खास है। इस दिन प्रात: काल स्नान कर श्रीहरि की पूजा करें और दिन में एक बार सहस्त्रनाम मंत्र या भगवत गीता का पाठ करें। तथा शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसो का दीपक अवश्य जलाएं। मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश, त्रिदेवों का वास होता है।
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