Parivartini Ekadashi : हिंदू धर्म में परिवर्तिनी एकादशी बहुत धूमधाम से मनायी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और गरीबों को दान दिया जाता है। माना जाता है कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन ही राजा बलि ने भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की थी और भगवान ने राजा की मनोकामनाएं पूर्ण की थी।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु शयन करते हुए करवट बदलते हैं। यही कारण है कि इसे परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह परिवर्तिनी एकादशी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी के दिन मनायी जाती है। इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी 9 सितंबर, सोमवार को पड़ रही है। इसे वामन एकादशी भी कहते हैं।
वामन एकादशी व्रत कथा
पुराणों के अनुसार त्रेतायुग में बलि नामक एक दानव था। वह बहुत ही दयालु, दानी एवं सत्यवादी था। वह कठिन तप और यज्ञ करके बहुत शक्तिशाली हो गया और इंद्र की गद्दी छीनने लगा। तब देवताओं ने भगवान विष्णु से गुहार लगायी। भगवान विष्णु वामन रुप धारण करके बलि के पास पहुंचे और उन्होंने बलि से तीन पग भूमि मांगी। दानी बलि ने पहले पग में भूमि और दूसरे पग में नभ ले लिया। तीसरे पग में जब कुछ नहीं बचा तब उन्होंने अपना पैर बलि के सिर पर रख दिया। इस तरह बलि पर भगवान विष्णु का अधिकार हो गया और वे उसे पाताल लोक ले गए। वहां बलि ने भगवान विष्णु से पाताल लोक का पहरेदार बनाने की विनती की। भाद्रमास के शुक्लपक्ष की एकादशी को भगवान ने बलि की मनोकामना पूर्ण की। तभी से वामन एकादशी या परिवर्तिनी एकादशी मनायी जाती है।
वामन एकादशी पूजन विधि
वामन एकादशी को ये चीजें करें दान
वामन एकादशी के दिन उपवास रखकर पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में सुख समृद्धि आती है।
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