Paush Purnima Vrat Katha: पढ़ें यह पौराणिक कथा, जानें क्या है पौष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

Paush Purnima 2022 Vrat Katha in Hindi: ऐसा माना गया है कि, पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि अचल सौभाग्य देने वाली होती है। पौष पूर्णिमा के दिन कथा का पाठ करना बहुत लाभदायक माना गया है। यहां देखें पौष पूर्णिमा की पौराणिक कथा और जानें क्या है इस पूर्णिमा का महत्व।

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मुख्य बातें
  • सौभाग्य की प्राप्ति के लिए स्त्रियों को करना चाहिए 32 पूर्णिमा व्रत।
  • पौष पूर्णिमा के दिन व्रत कर कथा का पाठ करने से जीवन में आ रही सभी विघ्न बाधाएं होती हैं दूर।
  • इस दिन हुआ था मां दुर्गा ने लिया था शाकंभरी के रूप में अवतार।

Paush Purnima 2022 Vrat Katha in Hindi : वर्ष 2022 की पहली पूर्णिमा तिथि आज है। यह पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है जिसे शाकंभरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य, चंद्र देव, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। पौष पूर्णिमा के दिन पूजा के समय सत्यनारायण भगवान की कथा श्रवण करने का विशेष महत्व है। इस कथा का श्रवण करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है तथा सभी कष्टों का निवारण होता है। पूर्णिमा के दिन गरीब व जरूरतमंद लोगों को तिल, गुण, कंबल आदि चीजों का दान करना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां दुर्गा ने भक्तों के कल्याण हेतु शाकंभरी के रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया था, इसलिए इसे शाकंभरी पूर्णिमा भी कहते हैं। सौभाग्य की प्राप्ति के लिए स्त्रियों को 32 पूर्णिमा व्रत करना चाहिए।

यह व्रत अचल सौभाग्य देने वाला एवं भगवान शिव के प्रति भक्तिभाव को बढ़ाने वाला माना जाता है। इस व्रत का महत्व व कथा भगवान श्रीकृष्ण ने सर्वप्रथम माता यशोदा को बताया था। कहा जाता है कि व्रत कर कथा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में आ रही सभी विघ्न बाधाएं दूर होती हैं। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार कथा का पाठ किए बिना पूजा को संपूर्ण नहीं माना जाता। ऐसे में आइए जानते हैं पौष मास की पूर्णिमा क्यों मनाया जाता और इसकी कथा।

Paush Purnima 2022 Date: पौष पूर्णिमा 2022 कब है

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पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिका नामक नगरी में चंद्रहाश नामक राजा राज करता था। उसी नगर में धनेश्वर नामक एक ब्राम्हण था और उसकी पत्नी अति सुशील और रूपवती थी। घर में धन धान्य आदि की कोई कमी नहीं थी। परंतु उसे एक बात का बहुत दुख था कि उनकी कोई संतान नहीं है। एक बार गांव में एक योगी आया और उसने ब्राम्हण का घर छोड़कर आसपास के सभी घरों से भिक्षा लिया और गंगा किनारे जाकर भोजन करने लगा। अपने भिक्षा के अनादर से दुखी होकर धनेश्वर योगी के पास जा पहुंचा और इसका कारण पूछा।

योगी ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि निसंतान के घर की भीख पतितों के अन्न के समान होती है और जो पतितों के घर का अन्न खाता है वो भी पतित हो जाता है। पतित हो जाने के भय से वह उस ब्राह्मण के घर से भिक्षा नहीं लेता था। इसे सुन धनेश्वर बेहद दुखी हुआ और उसने योगी से संतान प्राप्ति का उपाय पूछा।

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उन्होंने बताया कि तुम मां चण्डी की अराधना करो, इसे सुन वह चण्डी की अराधना करने के लिए वन में चला गया और नियमित रूप से चण्डी की अराधना कर उपवास करने लगा। इससे प्रसन्न होकर मां चण्डी ने सोलहवें दिन ब्राह्मण को स्वप्न में दर्शन दिया और पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। उन्होंने कहा कि यदि तुम दोनों लगातार 32 पूर्णिमा व्रत करोगे तो तुम्हारा संतान दीर्घायु हो जाएगा। इस प्रकार पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है।

Paush Purnima vrat kahani, पौष पूर्णिमा की पौराण‍िक कथा इन ह‍िंदी  

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार दुर्गम नामक दैत्य ने तीनों लोक में अपने आतंक से हाहाकार मचा दिया था। इस वजह से करीब सौ वर्षों तक बारिश ना होने के कारण धरती पर अकाल पड़ गया था, लोग अन्न व जल के अभाव से अपने प्रांण त्याग रहे थे। तब मां दुर्गा ने सभी देवी देवताओं की विनती से शाकंभरी के रूप में धरती पर अवतार लिया। कहा जाता है कि माता की सौ आंखे थी, माता ने जन्म लेते ही रोना शुरू कर दिया था। माता के आंसू से पूरी धरती जलमग्न हो गई और एक बार फिर पृथ्वी पर जल की पूर्ती हुई। इसके बाद माता दुर्गम नामक दैत्य का अंत कर दिया।

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Paush Purnima vrat 2022 : शुभ मुहूर्त व चंद्रोदय का समय

पूर्णिमा तिथि 17 जनवरी 2022, सोमवार को सुबह 03 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी। इसका समापन 18 जनवरी 2022, मंगलवार को सुबह 05 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। चंद्रोदय 17 जनवरी को शाम 05:10 मिनट पर होगा।

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