Pitru Paksha 2022: इस साल पितृपक्ष 10 सितंबर से शुरू होने वाला है, जो 25 सितंबर तक रहेगा। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और दान-धर्म के कार्य किए जाते हैं। ऐसा कहते हैं कि इस अवधि में हमारे पूर्वज हमें आशीर्वाद देने धरती पर आते हैं। उनकी कृपा से हमारे जीवन की हर बड़ी समस्या का अंत हो सकता है। ऐसे में यदि आप पितृ दोष की समस्या से राहत चाहते हैं तो पितृपक्ष में दिव्य पितृ स्रोत का पाठ करिए। इसका पाठ करने से ना सिर्फ पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि हमारी अनगिनत परेशानियां भी खत्म होती हैं।
1. अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ।।
2. इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् । ।
3. मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।
4. नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
5. देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।
6. प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
7. नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।
8. सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।
9. अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।
10. ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय: ।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस: ।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।
पितृपक्ष में घर का जो सदस्य पितरों का श्राद्ध करता है, उन्हें कुछ खास नियमों का प्रमुखता से पालन करना चहिए। ये लोग केवल एक पहर ही भोजन का सेवन करें। सुबह स्नान के बाद ही पितरों का तर्पण करें। तेल से शरीर की मालिश वर्जित है। जमीन में उगने वाली चीजें ना खाएं, जैसे आलू और अरबी। ब्रह्मचर्य का पालन करें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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