Putrada Ekadashi 2022 : कल है पुत्रदा एकादशी 2022 का व्रत, जानें पूजा विधि, महत्व और न‍ियम

Putrada Ekadashi 2022 Date, Time, Puja Muhurat: इस बार पुत्रदा एकादशी का व्रत 13 जनवरी 2022, गुरुवार को है, इसे पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन जगत के पालहर्ता भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों का निवारण होता है।

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पुत्रदा एकादशी 2022 (Pic : iStock) 
मुख्य बातें
  • पुत्रदा एकादशी सभी एकादशी व्रतों में है सर्वश्रेष्ठ, इसे पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस व्रत का महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था।
  • इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा अर्चना करने से निसंतान को होती है संतान की प्राप्ति।

Putrada Ekadashi 2022 Date, Time, Puja Muhurat: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन जगत के पालहर्ता भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों का निवारण होता है। पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति के लिए अमोघ बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत कर भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप और नारायण की उपासना करने से संतान की प्राप्ति होती है और संतान संबंधी सभी समस्याओं का निवारण होता है।

Putrada or Pavitra Ekadashi 2022 Date

इस बार पुत्रदा एकादशी का व्रत 13 जनवरी 2022, गुरुवार को है। पौष शुक्ल एकादशी तिथि 12 जनवरी दिन बुधवार को शाम 04:49 बजे से लग जा रही है, जो 13 जनवरी दिन गुरुवार को शाम 07:32 बजे तक रहेगी। पुत्रदा एकादशी को पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। 

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कहा जाता है कि यह एकादशी व्रत व्यक्ति के अंतर्मन को पवित्र कर देता है और अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है। हिंदू पंचांग के अनुसार पुत्रदा एकादशी व्रत पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के सुदर्शनधारी स्वरूप की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। 

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पुत्रदा एकादशी के न‍ियम क्‍या हैं 

  • पुत्रदा एकादशी पर चावल खाने की मनाही होती है। मान्‍यता है क‍ि एकादशी पर चावल खाने से रेंगने वाले जीव की योन‍ि मिलती है। 
  • एकादशी के व्रत के दिन पति-पत्नि को ब्रह्मचार्य व्रत का पालन करना चाहिए। 
  • पुत्रदा एकादशी प्रात: जल्‍दी उठकर पूजा करें। शाम के समय शयन से परहेज करें। 
  • न‍िंदा व झगड़े से खुद को पुत्रदा एकादशी के द‍िन दूर ही रखें। 
  • एकादशी के दिन गरीब और जरूरतमंदों को दान अवश्य करें। इसमें फल, वस्‍त्र, भोजन, रुपये आद‍ि दान में द‍िए जा सकते हैं। 


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पुत्रदा एकादशी का महत्व

पुत्रदा एकादशी को सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस व्रत का महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। संतान की प्राप्ति और उसके दीर्घायु के लिए पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा अर्चना करने से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है और संतान संबंधी समस्याओं का निवारण होता है। तथा सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

आपको बता दें क‍ि पुत्रदा एकादशी का व्रत दो तरह से रखा जाता है। यदि आप स्वस्थ हैं और उपवास रखने में सक्षम हैं तो निर्जला व्रत रख सकते हैं अन्यथा फलाहारी व्रत कर विधिपूर्वक पूजा के बाद समय पर इसका पारण करें।


 

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