Bhadra Kaal On Raksha Bandhan: हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के त्योहार का विशेष महत्व है। रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है। रक्षाबंधन का पावन त्योहार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल रक्षाबंधन का त्योहार कुछ हिस्सों में 11 और कुछ जगहों पर 12 अगस्त को मनाया जाएगा। रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई की कलाई में राखी बांधकर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं, जबकि भाई-बहन की रक्षा का वचन देता है। मुहुर्त की बात करें तो रक्षाबंधन के दिन राखी बांधते समय भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है। माना जाता है कि भद्रा का समय राखी बांधने के लिए अशुभ होता है, इसलिए बहनें भाई को भद्रा काल में राखी नहीं बांधती है। यह मुहूर्त अशुभ माना जाता है। इसके पीछे की वजह रावण से जुड़ी एक कथा में छिपी हुई है। आइए जानते हैं पौराणिक कथाओं के अनुसार क्यों नहीं बांधी जाती है भद्रा काल के समय राखी...
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इस बार 11 अगस्त को सावन पूर्णिमा तिथि और श्रावण नक्षत्र के साथ पूरे दिन भद्राकाल रहेगा। 11 अगस्त को भद्रा का अशुभ समय रात 08 बजकर 53 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।
भद्रा में राखी न बांधने के पीछे यह है कारण
पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल में ही राखी बांधी थी, जिसके कारण रावण का कुल समेत विनाश हो गया, यानी कि रावण का अहित हुआ। इस कारण मना किया जाता है कि भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। वहीं यह भी कहा जाता है कि भद्रा के वक्त भगवान शिव तांडव करते हैं और वो काफी क्रोध में होते हैं, ऐसे में अगर उस समय कुछ भी शुभ काम करें तो उसे शिव जी के गुस्से का सामना करना पड़ेगा और अच्छा काम भी बिगड़ जायेगा इसलिए भद्रा के समय कोई भी शुभ काम नहीं होता।
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भद्रा काल में क्यों राखी नहीं बांधी जाती
हिंदू धर्म के मुताबिक रक्षाबंधन पर भद्राकाल के समय भाई की कलाई पर राखी बांधना अशुभ माना जाता है। यहीं नहीं इस समय कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य भी नहीं करने चाहिए। ऐसा माना जाता है इस काल में किया गया काम का परिणाम हमेशा अशुभ ही होता है। इस अवधि में कोई कार्य करने से वह सफल नहीं होता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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