विवाह पंचमी का पर्व आज यानी 19 दिसंबर को है। इस दिन भगवान श्रीराम और देव सीता का विवाह हुआ था और यही कारण है कि इस दिन भगवान के विवाह की खुशी में व्रत-पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन अविवाहित लोगों को भगवान श्रीराम और देवी सीता का विवाह जरूर करना चाहिए। इससे उन्हें मनचाहा जीवन साथी मिलता है। वहीं, गृहस्थ लोगों को वैवाहिक जीवन के सुख मिलते हैं। लेकिन यह तभी संभव है जब इस विवाह से जुड़ी कथा का वाचन किया जाए। विवाह पंचमी के दिन कथा पढ़ने, सुनने व सुनाने से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है। तो चलिए इस शुभ अवसर पर विवाह पंचमी की कथा पढ़ें।
विवाह पंचमी कथा
देवी सीता का जन्म धरती से हुआ था। एक बार राजा जनक हल चला रहे थे और अचानक से खेत में उन्हें कन्या मिली। राजा जनक ने इस कन्या का नाम सीता रखा और यही कारण है कि देवी सीता को जनकनंदिनी के नाम से भी पुकारा जाता है। राजा जनक देवी सीता को बेटी के रूप में पा कर बेहद आनंदित हुए। एक बार की देवी सीता ने वह धनुष उठा लिया जिसे परशुराम जी के अलावा कोई नहीं उठा सकता था। तब राजा जनक ने यह निर्णय लिया कि जो भी शिवजी के इस धनुष उठा सकेगा उसी से वे अपनी बेटी सीता का विवाह करेंगे। देवी सीता बड़ी हुई तो राजा जनक ने देवी सीता का स्वयंवर रखा। स्वयंवर में भगवान राम और लक्ष्मण ने भी भाग लिया। शिवजी के इस धनुष को कोई भी नहीं उठा पा रहा था।
राजा जनक हताश हो गए और उन्होंने कहा कि 'क्या कोई भी मेरी पुत्री के योग्य नहीं है?' तब महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम को शिव जी के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने को कहा। गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान राम शिव जी के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने लगे और धनुष टूट गया और तब राजा जनक ने श्रीराम जी से सीता का विवाह करा दिया। हिंदू धर्म में भगवान राम और देवी सीता को आदर्श दंपति माना गया है। राम सीता का जीवन प्रेम, आदर्श, समर्पण और मूल्यों को प्रदर्शित करता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल