Saraswati Chalisa: गुरुवार के दिन करें सरस्वती चालीसा का पाठ, जीवन में आएगा चमत्कारिक बदलाव

Saraswati Chalisa: मां सरस्वती को ज्ञान और कला देवी कहा जाता है। इनकी पूजा में सरस्वती चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। गुरुवार के दिन सरस्वती चालीसा का पाठ करने से जीवन में कई चमत्कारिक बदलाव आते हैं।

Saraswati chalisa path
मां सरस्वती की पूजा में जरूर करें सरस्वती चालीसा का पाठ 
मुख्य बातें
  • सरस्वती चालीसा के पाठ से मिलता है सुख-सौभाग्य का वरदान
  • गुरुवार के दिन सरस्वती चालीसा का पाठ करने से मिलता है लाभ
  • सरस्वती चालीसा के पाठ से मन शांत और एकाग्रचित्त रहता है

Saraswati Chalisa Lyrics: मां सरस्वती की आशीर्वाद जिस व्यक्ति को प्राप्त होती है, उसके जीवन में कोई अभाव नहीं रहता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सृष्टि से उदासी और अज्ञानता को समाप्त करने के लिए ही ब्रह्माजी ने मां सरस्वती की रचना की थी। मां सरस्वती की पूजा के लिए वैसे तो वसंत पंचमी और दीपावली का दिन सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। लेकिन जो व्यक्ति प्रतिदिन मां सरस्वती की पूजा-अराधना करता है उसे सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। उसका जीवन सुख-सौभाग्य से भर जाता है। मां सरस्वती की पूजा में सरस्वती चालीसा का पाठ करने के कई लाभ होते हैं। गुरुवार के दिन मां सरस्वती की पूजा में सरस्वती चालीसा का पाठ जरूर पढ़ें। इससे आपके जीवन में सकारात्मक और चमत्कारिक बदलाव आएंगे।

सरस्वती चालीसा के लाभ

  • सरस्वती चालीसा का पाठ करने से ज्ञान के मार्ग खुलते हैं।
  •  इससे मन शांत एवं एकाग्रचित्त रहता है। इसलिए खासकर विद्यार्थियों को इसका पाठ जरूर करना चाहिए।
  • सरस्वती चालीसा के पाठ से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है। बुध ग्रह बुद्धि , वाणी , संगीत, व्यापार को प्रदर्शित करते हैं।
  • सरस्वती चालीसा का पाठ करने वाले व्यक्ति का तेज बढ़ता है। उसे हर क्षेत्र में यश और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

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सरस्वती चालीसा पाठ

।। दोहा ।।
जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥ पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हंतु॥

जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥

 जय जय जय वीणाकर धारी।करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुज धारी माता।सकल विश्व अन्दर विख्याता॥

जग में पाप बुद्धि जब होती।तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥

तब ही मातु का निज अवतारी।पाप हीन करती महतारी॥

वाल्मीकिजी थे हत्यारा।तव प्रसाद जानै संसारा॥

रामचरित जो रचे बनाई।आदि कवि की पदवी पाई॥

कालिदास जो भये विख्याता।तेरी कृपा दृष्टि से माता॥

तुलसी सूर आदि विद्वाना।भये और जो ज्ञानी नाना॥

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।केव कृपा आपकी अम्बा॥

करहु कृपा सोइ मातु भवानी।दुखित दीन निज दासहि जानी॥

पुत्र करहिं अपराध बहूता।तेहि न धरई चित माता॥

राखु लाज जननि अब मेरी।विनय करउं भांति बहु तेरी॥

मैं अनाथ तेरी अवलंबा।कृपा करउ जय जय जगदंबा॥

मधुकैटभ जो अति बलवाना।बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥

समर हजार पाँच में घोरा।फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥

चंड मुण्ड जो थे विख्याता।क्षण महु संहारे उन माता॥

रक्त बीज से समरथ पापी।सुरमुनि हदय धरा सब काँपी॥

काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।बारबार बिन वउं जगदंबा॥

जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा॥

भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई।रामचन्द्र बनवास कराई॥

एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥

को समरथ तव यश गुन गाना।निगम अनादि अनंत बखाना॥

विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥

रक्त दन्तिका और शताक्षी।नाम अपार है दानव भक्षी॥

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥

दुर्ग आदि हरनी तू माता।कृपा करहु जब जब सुखदाता॥

नृप कोपित को मारन चाहे।कानन में घेरे मृग नाहे॥

सागर मध्य पोत के भंजे।अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥

भूत प्रेत बाधा या दुःख में।हो दरिद्र अथवा संकट में॥

नाम जपे मंगल सब होई।संशय इसमें करई न कोई॥

पुत्रहीन जो आतुर भाई।सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥

करै पाठ नित यह चालीसा।होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।संकट रहित अवश्य हो जावै॥

भक्ति मातु की करैं हमेशा।निकट न आवै ताहि कलेशा॥

बंदी पाठ करें सत बारा।बंदी पाश दूर हो सारा॥

रामसागर बाँधि हेतु भवानी।कीजै कृपा दास निज जानी॥

॥दोहा॥

मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥

बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥

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मां सरस्वती की पूजा में इन मंत्रों का जाप भी है लाभकारी

सरस्वती चालीसा के साथ ही मां सरस्वती की पूजा में अष्टाक्षर मूल मंत्र "श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा" और “ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का भी जाप लाभकारी माना गया है। इसके अलावा आप पूजा में मां सरस्वती का उनके अन्य नामों से भी आह्वाहन कर सकते हैं जोकि इस प्रकार से हैं-शारदा, शतरूपा, वाणी, वाग्देवी, वागेश्वरी, भारती, कौशिकी। मां सरस्वती पूजा या मंत्रोचारण के  पहले स्नानादि करने से बाद साफ कपड़े पहन लें और इसके बाद विधि-विधान से मां सरस्वती की पूजा करें। फिर सरस्वती चालीसा का पाठ करें।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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