Lord Shiva and Maa Ganga Story In Sawan 2022: सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है। इस महीने भगवान शिवजी की विशेष पूजा-आराधना और व्रत किए जाएंगे। सावन माह भगवान शिव का प्रिय महीना होता है। इसलिए भी इस माह किए गए पूजा-पाठ का महत्व काफी बढ़ जाता है। भगवान भोलेनाथ की महिमा के साथ ही उनका रूप भी निराला है। महादेव अपने मस्तक पर चंद्रमा, हाथों में त्रिशूल, गले में सर्प और जटा में गंगा धारण किए हैं। इन सभी का खास महत्व और कारण है। सावन के इस महीने में जानते हैं कि आखिर भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में क्यों धारण किया।
हिंदू पुराणों के अनुसार, मां गंगा पहले देव लोक में रहा करती थी। इसलिए भी उन्हें देव नदी के नाम से जाता है। इसके बाद मां गंगा धरती पर अवतरित हुईं। शिवजी ने मां गंगा को धरती पर अवतरित कराने के लिए उन्हें अपनी जटाओं में बांध लिया। शिव पुराण में इस कथा के बारे में जिक्र किया गया है।
सावन में जानिए शिवजी की जटाओं में गंगा का रहस्य
पौराणिक हिंदू कथाओं के अनुसार महाराज भागीरथ ने अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए स्वर्गलोक से मां गंगा को धरती पर लाने की ठानी और इसके लिए कठोर तप किए। भागीरथ की तपस्या से खुश होकर मां गंगा धरती पर आने के लिए मान गईं। लेकिन समस्या यह थी कि मां गंगा सीधे धरती पर नहीं आ सकती थीं। उन्होंने भागीरथ से कहा कि, धरती उनका तेज वेग सहन नहीं कर पाएगी और रसाताल में चली जाएगी। इसके बाद भागीरथ ब्रह्माजी के पास पहुंचे और उन्होंने अपनी समस्या बताई। ब्रह्माजी ने भागीरथ को भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कहा।
देव लोक से शिवजी की जटाओं में पहुंची गंगा
भागीरथ ने कठोर तपस्या की और भोलेनाथ उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए। जब भोलेनाथ में भागीरथ से वरदान मांगने के लिए कहा तो भागीरथ ने उन्हें सारी बातें बताई। भगवान भोलेनाथ ने गंगा के वेग से पृथ्वी को बचाने के लिए अपनी जटाएं खोल दी और इस तरह से मां गंगा देवलोक से शिवजी की जटा में समा गईं और शिव जी ने मां गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर लिया। इसलिए भी भोलेनाथ के कई नामों में उनका एक नाम गंगाधर है।
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शिव जी की जटाओं में आते ही मां गंगा का वेग कम हो गया। इसके बाद मां गंगा उस स्थान पर पहुंची जहां भागीरथ के पूर्वजों की राख पड़ी थी। मां गंगा का स्पर्श होते ही भागीरथ के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस तरह से मां गंगा पहले शिवजी की जटाओं में समाई फिर धरती पर अवतरित हुईं।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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