Know About The Vehicle Of Shani Dev: शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि शनि देव कर्म के आधार पर व्यक्ति को फल प्रदान करते हैं। इसके तहत अच्छे कर्म वाले व्यक्ति को अच्छा फल तो वहीं बुरे कर्म करने वाले व्यक्ति को दंड देते हैं। किसी भी व्यक्ति पर शनिदेव की कृपा व्यक्ति को रंक से राजा बना देता है, वहीं शनि का दुष्प्रभाव राजा को भी रंक बना देता है। शनि को लेकर लोगों के अंदर भय होता है। ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। शनि देव के 9 वाहन माने जाते हैं। शनिदेव अलग-अलग वाहनों पर सवारी करते हुए अलग-अलग प्रभाव देते हैं। आइए जानते हैं शनिदेव के इन 9 वाहनों के बारे में और यह वाहन क्या संकेत देते हैं।
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जानिए, कौन कौन से है शनि देव के वाहन
शनि देव के नौ वाहन सियार, हंस, कौवा, हाथी, मोर, गधा, घोड़ा, सिंह व भैंसा है। यह शनि देव के 9 वाहन हैं। लेकिन शनि चालीसा में शनिदेव के सात वाहनों के बारे में ही बताया गया है। शनिदेव चालीसा के मुताबिक 'वाहन प्रभु के सात सुजाना। दिग्गज, गर्दभ, मृग, अरुस्वाना।। जम्बुक, सिंह आदि नखधारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी।।' बताया गया है। जिसका अर्थ है शनिदेव के सात वाहन हैं- हाथी, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार, शेर, व गिद्ध। इसके अलावा कौवा व हंस को भी इनका वाहन माना गया है। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर किसी भी कुंडली में जाते हैं तो उस वाहन के अनुसार ही उस राशि वालों को फल देते हैं।
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नौ वाहन देते हैं ये फल
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक जब शनिदेव हाथी पर सवार होकर आते हैं तो पैसा, सम्मान पद आदि का लाभ होता है। शनिदेव जब गधे पर सवार होकर किसी की राशि में जाते हैं तो उसके बनते काम भी बिगड़ जाते हैं। हानि ही हानि होती है। शेर पर शनिदेव की सवारी कोई बड़ा पद व समाज में मान-सम्मान दिलाती है। इससे हर क्षेत्र में आपकी प्रशंसा होती है। जब शनिदेव सियार पर सवार होकर आत हैं तो व्यक्ति की बुद्धि नष्ट हो जाती है। पैसे व सम्मान का भी नाश होता है। जब शनिदेव हिरन पर सवार होकर आते हैं तो मृत्यु के समान कष्ट झेलने पड़ते हैं। हर तरफ से परेशानी ही परेशानी आती है। कौए पर सवार होकर शनिदेव व्यक्ति के सभी दुखों को दूर करते हैं और बीमारी आदि कष्टों को भी कम करते हैं। घोड़ा हो तो शुभ फल मिलते हैं। इस समय समझदारी से काम लें तो अपने शत्रुओं पर आसानी से विजय पा सकते हैं। मोर भी शुभ फल देता है। इस समय अपनी मेहनत के साथ-साथ भाग्य का साथ भी मिलता है। भैंसा हो तो मिला-जुला फल प्राप्त होता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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