लाल किताब में इस बात का जिक्र है कि लोहे की अंगूठी हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं होती और कुछ लोगों को इसे पहनने से बचना चाहिए। ज्योतिष में माना गया है कि शनि का प्रिय लोहा होता है और जब किसी की कुंडली में शनि की ढैय्या, साढ़े साती, दशा, महादशा या अन्तर्दशा हे तो लोहे की अंगूठी को पहनाना तमाम तरह की दिक्कतों व शनि के बुरे प्रकोप से बचाता है। शनि के बुरे प्रभाव का असर इंसान के जीवन को बुरी तरह से तबाह करता है।
व्यक्ति के जीवन में इससे आर्थिक, मानिसक, शारीरिक दिक्कते इतनी बढ़ जाती हैं कि इंसान का मन अंदर से टूट जाता है। लेकिन लोहे की अंगूठी इन परेशानियों का बड़ा इलाज मानी जाती है। इन सब से इतर लाल किताब में शनि को खुशकरने के लिए लोहा पहनना सभी के लिए सही नहीं माना गया है।
धातु को पहनने से पहले अपनी कुंडली की जांच करवाएं
लाला किताब के अनुसार जातक को कभी भी धातु को पहनने से पहले अपनी कुंडली की जांच जरूर करानी चाहिए। कुंडली के अनुसार ही जातक को किसी धातु को धारण करना चाहिए। भले ही आप पर शनि की महादशा हो साढ़े साती आपको अपनी कुंडली को दिखाने के बाद ही लोहा धारण करना चाहिए अन्यथा कई बार इसके उल्टे असर भी देखने को मिलते हैं।
याद रखें अगर आपकी कुंडली में शनि भारी है लेकिन सूर्य, शुक्र और बुध मुश्तर्का में हो तो लोहे की अंगूठी पहनना घातक होता है। ऐसे में केवल चांदी की अंगूठी पहनना ही काफी होता है। इसी से शनि मजबूत होने लगता है। इसके विपरीत अगर बुध और राहु कुंडली में हो तो लोहे की अंगूठी बेहतर
होगी, यही अगर बुध 12वें भाव में हो या बुध एवं राहु मुश्तर्का या अलग अलग भावों में मंदे हो रहे हों तो लोहे की अंगूठी नहीं बल्कि लोहा गले में चेन या हाथ में कड़े के रूप में पहनना सही होगा।
12वां भाव, खाना या घर राहु का घर भी होता है। ऐसे में केवल लोहे की अंगूठी बुध शनि मुश्तर्का है। बुध यदि 12वें भाव में हो वह छठें यानी खाना नंबर 6 के तमाम ग्रहों को प्रभावित करता है। अक्ल (बुध) के साथ अगर चतुराई (शनि) का साथ नंबर 2-12 मिल जाए तो जहर से मरे हुए के लिए भी ये लोहे की अंगूठी अमृत बन सकती है।
इन लोगों को लोहे की अंगूठी पहनने से होता है नुकसान
कुंडली में सूर्य, शुक्र और बुध मुश्तर्का हो तो लोहे की अंगूठी बिलकुल न पहनें। वहीं जिस कुंडली में शनि ग्रह उत्मम फल दे रहा हो उसे भी लोहा नहीं पहनना चाहिए।
इसलिए पहनते हैं लोहे की अंगूठी
शनि, राहु और केतु के बुरे प्रकोप और दुष्प्रभावों से बचने के लिए लोहा पहना जाता है। साथ ही बुरी आत्माओं से बचने के लिए भी लोग लोहा पास में रखते हैं।
किस अंगुली में धारण करें
लोहे की अंगूठी दाहिने हाथ की माध्यम अंगुली में पहनना चाहिए, क्योंकि इसी अंगुली के नीचे शनि पर्वत होता है।
अंगूठी धारण करने का तरीका जानें
अंगूठी हमेशा शनिवार के दिन शाम हो ही पहनें। यदि पुष्य, अनुराधा, उत्तरा, भाद्रपद एवं रोहिणी नक्षत्र हो तो इस दिन अंगूठी पहनना बेहद शुभ होता है। याद रखें लोहे की अंगूठी चमकती रहनी चाहिए। काली न पड़े।
तो शनि के कुप्रभावों से बचने के लिए अंगूठी पहनने से पहले ज्योतिष सलाह जरूर लें और लाल किताब के नियमों का पालन करें। इससे आपके कष्ट दूर होंगे।
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