Shardiya Navratri 2022 Murti: क्यों वेश्यालय की मिट्टी से बनाई जाती है मां दुर्गा की प्रतिमा क्या है इसका कारण

Shardiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि में मंदिरों और पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता की प्रतिमा का निर्माण के लिए पुण्य और पवित्र माटी कहां से लाई जाती है। यह माटी वेश्यालय से लाई जाती है। मान्यता है कि वेश्यालय की मिट्टी के बिना मां दुर्गा की प्रतिमा अधूरी मानी जाती है।

Shardiya Navratri 2022 maa dura idol
वेश्यालय की मिट्टी के बिना अधूरी मानी जाती है मां दुर्गा की प्रतिमा 
मुख्य बातें
  • पवित्र नदियों और वेश्यालय की माटी से तैयार की जाती है मां दुर्गा की मूर्ति
  • वेश्यालय की माटी के बिना अधूरी मानी जाती है मां दुर्गा की मूर्ति
  • वेश्यालय की मिट्टी से मां दुर्गा के मूर्ति निर्माण से जुड़ी है कई कथाएं और मान्यताएं

Shardiya Navratri 2022 Maa Durga Idol Made the Brothel Soil: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत सोमवार 26 सितंबर 2022 से होने वाली है। शारदीय नवरात्रि को दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की जाती है। पश्चिम बंगाल समेत पूरे भारत में यह त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मां दुर्गा को दुर्गतिनाशिनी यानी बुराई का नाश करने वाली और भक्तों की रक्षा करने वाली के रूप में भी जाना जाता है। नवरात्रि शुरू होने के कई दिनों पहले से ही मूर्तिकार माता की मूर्तियां तैयार करने लगते हैं। क्योंकि नवरात्रि में बड़े-बड़े पूजा पंडालों का निर्माण किया जाता है और मंदिरों से लेकर पूजा पंडालों में माता की मूर्ति स्थापित की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता की मूर्ति बनाने के लिए किस मिट्टी का प्रयोग किया जाता है और ये पवित्र माटी कहां से कहां से लाई जाती है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि नवरात्रि में मां दुर्गा की मूर्ति का निर्माण वेश्यालय की मिट्टी से किया जाता है। हिंदू संस्कृति में वेश्यावृत्ति को भले ही अधार्मिक माना गया हो और समाज में देह व्यापार करने वाली महिला को घृणा की नजर से देखा जाता हो। लेकिन नवरात्रि के इस पवित्र त्योहार में वेश्यालय की मिट्टी के बिना मां दुर्गा की प्रतिमा अधूरी मानी जाती है। इसके साथ ही पवित्र नदियों के माटी से भी मां दुर्गा की मूर्ति बनाई जाती है।

इन चीजों से तैयार होती है मां दुर्गा की मूर्ति

देवी दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए वेश्यालय और पवित्र नदियों की माटी का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही मूर्ति निर्माण के लिए गोमूत्र, गोबर, लकड़ी, सिंदूर, धान के छिलके और जूट के ढांचे का भी प्रयोग किया जाता है। मान्यता के अनुसार मूर्ति बनाने के लिए जब तक वेश्यालय के बाहर पड़ी मिट्टी का प्रयोग ना हो तब तक मूर्ति अधूरी मानी जाती है।

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मूर्ति बनाने के लिए क्यों पवित्र है वेश्यालय की मिट्टी

नदियों को पवित्र माना जाता है और इसकी पूजा की जाती है। इसलिए मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए पवित्र नदियों की माटी का प्रयोग किया जाता है। लेकिन लोगों के मन में यह सवाल होता है कि जब हिंदू संस्कृति में वेश्यावृत्ति को अधार्मिक माना जाता है और देह व्यापार करने वाली महिलाओं को घृणा की दृष्टि से देखा जाता है, तो फिर इस पावन त्योहार और पूजा अनुष्ठान के लिए वेश्यालय की माटी का इस्तेमाल क्यों होता है। इसका वर्णन पौराणिक और लोक कथाओं में किया गया है।

वेश्यालय की माटी से पवित्र मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के पीछे कई मान्यताएं और धारणाएं जुड़ी हुई हैं। एक मान्यता के अनुसार एक बार मंदिर के पुजारी ने मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए वेश्याओं से उनके आंगन और बाहर की मिट्टी मांगते थे। जिससे वे मूर्ति का निर्माण करते थे। मां दुर्गा ने पुजारी की सभी प्रार्थनाएं स्वीकार की और भक्तों से कहा कि उनकी मूर्ति का निर्माण वेश्यालय के मिट्टी से ही की जाए। मां ने यह वरदान दिया कि वेश्यालय की मिट्टी से बनाई गई मूर्ति की पूजा करने से ही व्रत और पूजन सफल होगी। इसके बाद से ही यह परंपरा धीरे-धीरे बढ़ती गई और नवरात्रि पूजा के लिए मां की मूर्ति बनाने के लिए वेश्यालय की मिट्टी का प्रयोग होने लगा।

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वेश्यालय की माटी से मां दुर्गा की मूर्ति बनाने से जुड़ी एक धारणा के अनुसार, एक वेश्या मां  दुर्गा की भक्त थी। लेकिन वेश्या होने के कारण उसे समाज सम्मान प्राप्त नहीं था और उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था। कहा जाता है कि माता रानी ने भक्त को समाज के तिरस्कार और यातनाओं से बचाने के लिए स्वयं आदेश देकर उसके आंगन की माटी से अपनी मूर्ति का निर्माण करवाया। इसके बाद से ही यह परंपरा शुरू हुई। जानकारों के अनुसार शारदा तिलकम, महामंत्र महार्णव, मंत्रमहोदधि आदि जैसे ग्रंथों में इसकी पुष्टि भी की गई है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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