भगवान शिव देवों के देव हैं, इसलिए महादेव कहे गए हैं। शिवजी की संतान के रूप में लोगों को यही पता है कि उनके दो पुत्र हैं कार्तिकेय और गणपति जी। इन दो संतानों के अलावा भी शिवजी की चार और संतानें पुराणों में बताई गई हैं। यानी कुल मिलाकर देवी पार्वती और भगवान शंकर की 6 संताने हैं। इसमें से तीन पुत्रियां और तीन पुत्र बताए गए हैं। शिव की संतानों का इनका वर्णन शिव पुराण में मिलता है। तो आइए आज शिवजी के संपूर्ण परिवार से आपका परिचय कराएं और जानें की उनकी 4 अन्य संतानें कौन हैं।
कार्तिकेय और गणपति जी के अलावा ये हैं शिवजी के तीसरे पुत्र
शिव के दो पुत्र कार्तिकेय और भगवान गणपति का उल्लेख हर जगह मिलता है, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि शिवजी के तीन पुत्र हैं। भगवान शिव के तीसरे पुत्र का नाम भगवान अयप्पाा है। शिवजी के तीसरे पुत्र अयप्पा की पूजा सबसे ज्यादा दक्षिैण भारत में होती है।
जानें शिवजी की इन तीन पुत्रियों के बारे में
भगवान शिव की तीन पुत्रियां बताई गई हैं। इनका नाम अशोक सुंदरी, ज्योकति या मां ज्वापलामुखी और देवी वासुकी या मनसा बताया गया है। शिव पुराण में इन तीनों ही पुत्रियों का उल्लेख मिलता है। इनमें से शिव जी की तीसरी पुत्री वासुकी, देवी पार्वती की सौतेली बेटी मानी गई हैं।
देवी पार्वती ने अकेलापन दूर करने के लिए दिया था अशोक सुंदरी को जन्म
शंवकर भगवान की बड़ी बेटी अशोक सुंदरी का जन्म देवी पार्वती ने अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए दिया था। देवी पार्वती एक पुत्री का साथ चाहती थीं, ताकि वह उनके साथ रहे और उनका अकेलापन दूर करे। मान्यता है कि देवी पार्वती के समान ही अशोक सुंदरी बेहद खूबसूतर और गुणवान थीं और इसी कारण उनका नाम सुंदरी रखा गया। देवी अशोक सुंदरी पूजा गुजरात राज्य में सबसे ज्यादा होती है। अशोक सुंदरी के लिए ये भी कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने बालक गणेश का सिर काट दिया था तो वह डर के एक नमक की बोरी में छुप गई थी। इस वजह से उनकी महत्ता नमक से भी जोड़ी जाती है।
शंकर भगवान के तेज से हुआ था पुत्री ज्योति का जन्म
शिव-पार्वती की दूसरी पुत्री का नाम पुराणों में ज्योजति बताया गया है। मान्यता है कि उनका जन्म भगवान शंकर भगवान के तेज से हुआ था और वह उनके प्रभामंडल का स्वोरूप हैं। हालांकि उनके जन्म से जुड़ी एक अन्य मान्यता भी बताई गई हैं। जिसके अनुसार उनका जन्मल पार्वती के माथे से निकले तेज से हुआ था। देवी ज्यो ति का ही दूसरा नाम देवी ज्वाउलामुखी बताया गया है। इनकी पूजा तमिलनाडु में सबसे ज्यादा होती है।
मनसा देवी हैं, शिवजी की तीसरी बेटी
सर्पदंश यानी सांप के काटे जाने पर भक्त देवी मनसा के शरण में जाते हैं। माना जाता है कि उनका जन्मे जब शिव जी के वीर्य सांपों की मां कही जाने वाली कद्रु के एक पुतले से छू गया था। इसलिए इन्हें भी शिव जी की पुत्री माना गया है, लेकिन मनसा का जन्मन भी कार्तिकेय की तरह देवी पार्वती के गर्भ से नहीं हुआ था। देवी मनसा का एक नाम वासुकी भी है और पिता, मां और पति द्वारा उपेक्षियत किए जाने के कारण वे बेहद गुस्सैल मानी गई हैं। उनकी पूजा बिना किसी प्रतिमा या तस्वीमर के होती है। उनकी पूजा पेड़ की कोई डाल, मिट्टी का घड़ा या मिट्टी का सांप बनाकर की जाती है।
तो ये शिवजी का संपूर्ण परिवार। शिवजी के जब भी परिवार की पूजा की जाती हैं तो इनकी पूजा भी जरूर करनी चाहिए।
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