Mahabharat Katha Jeevan Mantra: महाभारत की अश्वमेधादिक पर्व में युधिष्ठिर और भगवान श्रीकृष्ण के बीच बातचीत होती है। जिसमें कृष्ण युधिष्ठिर को बताते हैं कि सुखी जीवन का क्या रहस्य है और कौन से व्यक्ति को मरने के बाद स्वर्ग या नर्क की प्राप्ति होती है। युधिष्ठिर श्रीकृष्ण से पूछते हैं कि कैसे लोग सुखी जीवन व्यतीत करते हैं और वे कौन से लोग होते हैं जो मरने के बाद मोक्ष को प्राप्त करते हैं और स्वर्ग जाते हैं और किन लोगों को नर्क भोगना पड़ता है। युधिष्ठिर के सवाल पर भगवान श्रीकृष्ण जवाब देते हुए एक श्लोक में बताते हैं।
श्रीकृष्ण कहते हैं-सुखी जीवन व्यतीत करने और स्वर्ग प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को तप और दान जैसे कुछ कार्य अवश्य करने चाहिए। पुण्य कर्म करने से व्यक्ति द्वारा किए जाने-अनजाने पाप भी नष्ट हो जाते हैं और इससे उसे नर्क नहीं जाना पड़ता।
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महाभारत के अश्वमेधादिकम् पर्व के श्लोक के अनुसार जानते हैं इस कार्यों के बारे में
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युधिष्ठिर को श्रीकृष्ण द्वारा बताई गई ये बातें महाभारत के अश्वमेधादिकम् पर्व के अध्याय 106 में है। यह श्लोक इस प्रकार से हैं- दानेन तपसा चैव सत्येन च दमेन च। ये धर्ममनुवर्तन्ते ते नराः स्वर्गगामिनः॥
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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