Ram Ji Ki Vanshavali : इक्ष्वाकु की अयोध्या, रघुकुल के श्रीराम - प्रभु की वंशावली से जुड़ी जानें हर बात

Prabhu Shri Ram's lineage : भगवान राम की जन्म से पूर्व ही अयोध्या पर उनके वंशज राज कर रहे थे। प्रभु की वंशावली बहुत बड़ी और प्रतापी मानी गई है। बाल्मिकी रामायण और तुलसीदास मानस में उनके वंश का उल्लेख मिलता है।

Genealogy of Shriram, श्रीराम की वंशावली
Genealogy of Shriram, श्रीराम की वंशावली 
मुख्य बातें
  • श्रीराम के वंशज रघु के प्रताप से शुरू हुआ था रघुकुल
  • इक्ष्वाकु ने स्थापित की थी अयोध्या को अपनी राजधानी
  • ध्रुवसन्धि वंश में जन्मे थे भगवान श्रीराम

अयोध्या और श्रीराम एक दूसरे के पूरक माने गए हैं। भगवान राम की जन्मस्थली होने के कारण हिंदुओं के लिए यह नगरी आरध्य मानी गई है। भगवान राम के जीवन प्रसंग के कई अध्याय अयोध्या से जुड़े हैं। रामयाण और राम चरित मानस में प्रभु से जुड़े विवरण से पता चलता है कि उनके जन्म से पूर्व ही उनके वंशजों ने अयोध्या को अपने राजधानी बना ली थी। आदर्श, त्याग और प्रेम से भरे मर्यादा पुरुषोत्तम ही नहीं उनकी वंशावली बहुत प्रतापी और महान रही है। रामायण और तुलसी मानस के आधार पर आइए  जानें कि भगवान श्रीराम के किस वंशज ने सर्वप्रथम अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया था और रघुकुल वंश की शुरुआत कहां से हुई।

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जानें प्रभु की संपूर्ण वंशावली

प्रभु श्रीराम इक्ष्वाकु वंश के थे और इस वंश के गुरु वशिष्ठ जी थे। भगवान श्री राम की वंशावली बहुत ही व्यापक और प्रभावशाली रही है। ब्रह्मा जी से मरीचि का जन्म हुआ था और मरीचि के पुत्र कश्यप थे। कश्यप के पुत्र विवस्वान और  विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु हुए। वैवस्वत मनु के पुत्र इक्ष्वाकु हुए और इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि थे। कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था। विकुक्षि के पुत्र बाण हुए और बाण के पुत्र अनरण्य। अनरण्य से पृथु हुए और पृथु से त्रिशंकु पैदा हुए। त्रिशंकु के पुत्र धुन्धुमार और धुन्धुमार के पुत्र युवनाश्व हुए। युवनाश्व से उनके पुत्र मान्धाता हुए और मान्धाता से सुसन्धि पैदा हुए।

सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित। ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत और भरत के पुत्र असित हुए। असित के पुत्र सगर और सगर के पुत्र असमञ्ज पैदा हुए। असमञ्ज के पुत्र अंशुमान  और अंशुमान के पुत्र दिलीप जन्म लिए। दिलीप के पुत्र भगीरथ और भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ हुए। ककुत्स्थ के पुत्र रघु पैदा हुए और रघु और रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए। प्रवृद्ध के पुत्र शंखण और शंखण के पुत्र सुदर्शन जन्म लिए। वहीं सुदर्शन के पुत्र अग्निवर्ण और अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग का जन्म हुआ। शीघ्रग के पुत्र मरु हुए और मरु के पुत्र प्रशुश्रुक हुए। प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीश पैदा हुए और अम्बरीश के पुत्र नहुष हुए। नहुष के पुत्र ययाति और ययाति के पुत्र नाभाग हुए। नाभाग के पुत्र अज और अज के पुत्र हुए राजा दशरथ। राजा दशरथ के चार पुत्र हुए श्री रामचन्द्र, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न। भगवान श्री रामचंद्र के दो पुत्र लव और कुश हुए।

इक्ष्वाकु ने स्थापित की थी अयोध्या

भगवान श्रीराम के पूर्व वंशज इक्ष्वाकु ने अयोध्या को सर्वप्रथम अपने राज्य की राजधानी बनाई थी।

रघुकुल वंश की शुरुआत

प्रभु श्रीराम के पूर्व वंशज रघु बहुत पराक्रमी, तेजस्वी और महान राजा थे और उनके प्रताप का ही असर था की रघुकुल वंश के नाम की शुरुआत यहां से हुई। भगवान प्रभु के वंशज भागीरथ की तपस्या का ही परिणाम था कि गंगा धरती पर अवतरित हुईं।

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