नई दिल्ली : लम्बे समय से रिलेशनशिप में रहने के बाद Sonam Kapoor और उनके बॉयफ्रेंड आनंद आहूजा आखिरकार अपने रिश्ते पर शादी की मुहर लगा चुके हैं। दोनों के ही परिवार वाले इस शादी में काफी जम कर शरीर हुए। सोनम और आनंद ने ईको फ्रेंडली तरीके से शादी के इनविटेशन के लिए ई-कार्ड भी भेजे थे। जानकारी मिली थी कि सोनम की शादी हिंदू रीति-रिवाज से ना हो कर सिख धर्म के रिवाज से की जाएगी।
आज वो दिन आ गया जब सोनम कपूर और आंदन आहूजा ने अपनी शादी बिल्कुल पंजाबी तरीके से की है। आनंद कारज हिंदू धर्म के विवाह से बिल्कुल अलग माना जाता है। अपनी शादी के लिये सोनम ने सुर्ख लाल रंग के जोड़े के साथ हाथों भारी गहनें, लाल रंग के चूड़े और कलीरें बांध रखे थे।
इस विवाह में लग्न, मुहूर्त, शगुन-अपशगुन, नक्षत्र देखना, जन्मपत्रियों का मिलान आदि करना जरूरी नहीं होता। वहीं दूसरी ओर हिंदू मैरिज में यह सब चीजें काफी ज्यादा मायने रखती हैं। सिख धर्म में जो लोग गुरु पर पूरी आस्था रखते हैं वे आनंद कारज करते हैं। उनके लिये हर दिन पवित्र होता है।
Also read: 8 मई को है सोनम कपूर की शादी, क्या मुहूर्त लाएगा जिंदगी में 'आनंद'
आनंद कारज का अर्थ
सिख विवाह को आनंद कारज कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है खुशी का कार्य। सिख गुरुओं के अनुसार पारीीवारिक जीवन काफी जरूरी होता है इसलिये शादी को शुभ कार्य का दर्जा दिया गया है।
Also read: अनुष्का शर्मा की तरह Day Wedding करेंगी Sonam Kapoor, 7-8 मई का ये है प्लान
कैसे होता है यह विवाह
इस विवाह में दूल्हे को गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष बैठया जाता है और दुुल्हन आकर उसके बायीं ओर बैठती है। फिर ईश्वर की प्रार्थना की जाती है और उन्हें आशीर्वाद प्रदान करवाया जाता है। इसके बाद सिख संत जो कि विवाह सम्पन्न करा रहे हों, जोड़ी को विवाह, उनके कर्तव्यों व दायित्व की बखूबी निर्वाह करने का ज्ञान देते हैं।
फेरों को बोलते हैं लवण
इस दौरान दुल्हन के पिता पगड़ी का एक सिरा दूल्हे के कंधे पर रखते हैं और दूसरा सिरा दुल्हन के हाथ में देते हैं। फिर जोड़ा गुरु ग्रंथ साहिब के चार फेरे लेता है, जिसको लवण, लावा या फेरा बोलते हैं।
बता दें कि हिंदू शादियों में जहां 7 फेरों की प्रथा है वहीं आनंद कारज में 4 फेरे यानी लांवे लिए जाते हैं। पहले फेरे में नाम जपते हुए सतकर्म की सीख जोड़े को दी जाती है।
दूसरे लांवे में सच्चे गुरु को पाने का रास्ता दिखाया जाता है ताकि उनके बीच अहम की दीवार न रहे। अगले फेरे में संगत के साथ गुरु की बाणी बोलने की सीख देते हैं। चौथे और अंतिम लांवे में मन की शांति और गुरु को पाने के शब्द कहे जाते हैं।
धर्म व अन्य विषयों की Hindi News के लिए आएं Times Now Hindi पर। हर अपडेट के लिए जुड़ें हमारे FACEBOOK पेज के साथ।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल