Story Behind Crow Color : कौए को ऋषि का शाप लगा था इसीलिए यह पक्षी काले रंग का होता है। काले रंग की वजह से ही कोई भी मांसाहारी जीव-जंतु पशु-पक्षी कौए के मांस का सेवन नही करते हैं। दरअसल, कौआ अमृतपाई पक्षी है। अन्य पक्षियों की तुलना में इसे दिव्य दृष्टि संपन्न और भविष्य ज्ञानी के रूप में प्रशंसा प्राप्त है। शकुन संबंधी विचार के लिए इस पक्षी को सर्वोत्तम माना जाता है। कहते है कि सृष्टि के आदिकाल में कौए के शरीर का रंग एकदम श्वेत होता था। तब यह पक्षी सबसे सुंदर और प्रशंसनीय माना जाता था
एक बार एक ऋषि ने कौए से कहा की तुम तीव्र उड़ान भरने वाले पक्षी हो, अतः दसों दिशाओं में जाकर अमृत के स्रोत का पता लगाकर सीधे मेरे पास वापस आ जाना उस अमृत को तुम स्वयं मत पीना।
कौए ने पता लगाया था अमृत के स्रोत का
निरंतर कई वर्षों तक पता लगाने के पश्चात कौए की प्रसन्नता का ठिकाना ना रहा। उसने अमृत के स्रोत का पता लगा लिया था। लेकिन तभी थके हुए कौए को प्यास लगी। वह अपने आप पर संयम ना रख सका और ऋषि की आज्ञा का ध्यान ना रखते हुए अमृत के कुछ घूंट पी लिए। तत्पश्चात वह ऋषि के पास गया उसने ऋषि को अमृत के स्रोत का पता बता दिया। उसने यह भी बता दिया की वह अमृत की गंध को रोक नहीं पाया और कुछ घूंट पी भी लिए।
इस शाप की वजह से कौए की मृत्यु दुर्घटनाओं से होती है
इस पर ऋषि ने कौए को शाप दे दिया कि तूने अपनी चौंच से अमृत के स्रोत को अपवित्र कर दिया है। इस लिए तू सर्व अविश्वसनीय है। तुझे अब घृणित एवं निंदनीय प्राणी समझा जाएगा। तू अब से अभक्ष्य पदार्थो का सेवन करेगा। अब से लोग तेरी निंदा करेंगे। अन्य नभचर पक्षी तुझे अपनी बिरादरी से तिरस्कृत कर तुझसे दूर रहेंगे। चूंकि तूने मना करने के बाद अमृत के कुछ घूंट पी लिए है। अतः जरा व्याधि से मुक्त होकर तू दीर्घ जीवन प्राप्त करेगा। तेरी मृत्य केवल दुर्घटनाओं के कारण ही होगी। तेरे शरीर का वर्ण श्वेत ना रहकर काला हो जाएगा। यद्पि अमृतपायी होने के कारण वह चमकदार बना रहेगा। उक्त घटना से समस्त काक वंश श्वेत के स्थान पर कृष्ण वर्ण का हो जाएगा। गौरतलब है कि कोई भी पशु पक्षी कौए के शरीर का मांस नहीं खाता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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