Sunderkand Path: सुंदरकांड का पाठ करने से बनी रहती है हनुमान जी की विशेष कृपा, जानिए इसका महत्त्व

Benefits Of Sunderkand Path: हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सुंदरकांड का पाठ करना बेहद लाभकारी होता है। सुंदरकांड तुलसीदास जी द्वारा रचित है। ऐसी मान्यता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है।

lord hanuman ji puja
hanuman ji  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • मंगलवार का दिन भगवान हनुमान जी को समर्पित होता है
  • ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान हनुमान जी की विधि विधान से पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है
  • हनुमान जी कभी भी अपने भक्तों को निराश नहीं करते हैं

Sunderkand Path Ke Niyam: भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमानजी को अमरता का वरदान प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि सभी देवताओं में हनुमान जी ऐसे देवता है जो हमारे बीच धरती पर मौजूद हैं। मंगलवार का दिन भगवान हनुमान जी को समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान हनुमान जी की विधि विधान से पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है। हनुमान जी कभी भी अपने भक्तों को निराश नहीं करते हैं। हनुमान जी अपने भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। मंगलवार के दिन हनुमान जी के सुंदरकांड का पाठ करने की परंपरा है। सुंदरकांड में हनुमान जी के द्वारा किए गए कार्यों का संपूर्ण वर्णन किया गया है। अखंड रामायण पाठ में सुंदरकांड के पाठ का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि 40 सप्ताह तक लगातार श्रद्धा पूर्वक सुंदरकांड का पाठ करने से भगवान हनुमान की विशेष कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं सुंदरकांड का पाठ एक दिन में कितनी बार करना चाहिए और इसके क्या फायदे हैं।

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इस समय करें सुंदरकांड का पाठ
अगर आप सुंदरकांड का पाठ अकेले में करना चाहते हैं, तो सुबह का समय सुंदरकांड का पाठ करने के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ हैं। आप अकेले में सुंदरकांड का पाठ सुबह के समय में ब्रह्म मुहूर्त में 4 से 6 बजे के बीच में कर सकते हैं। वहीं अधिकतर लोग सुंदरकांड का पाठ समूह में करवाते हैं। अगर आप भी सुंदरकांड का पाठ समूह में करवाना चाहते है तो शाम को 7 बजे के बाद समूह में सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।

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सुंदरकांड का पाठ करने का नियम
सुंदरकांड का पाठ करने के साथ इसके नियमों पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। सुंदरकांड का पाठ आप अपनी इच्छा अनुसार 11, 21, 31, 41 दिन तक कर सकते हैं। हनुमान जी के सुंदरकांड का पाठ करने के लिए उनकी प्रतिमा अपने सामने स्थापित करें। हनुमान जी की प्रतिमा ऐसी होनी चाहिए जिसमें प्रभु राम, माता सीता व लक्ष्मण सभी की प्रतिमा साथ हो। प्रतिमा स्थापित करने के बाद शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं। हनुमान जी के चरणों में 7 पीपल के पत्ते अर्पित करें। हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाएं। इसके बाद हनुमान चालीसा सुंदरकांड का पाठ शुरू करें।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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