Chanakya Niti In Hindi: आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी उतनी कारगर हैं, जिनती उनके समय में थी। इन नीतियों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति चले तो उसका उत्थान व कल्याण ही होगा। आज के युग में हर इंसान की चाहत ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने और सुख भोगने की होती है। किसी को अकूत संपत्ति की चाहत होती है तो किसी को मान-सम्मान की, वहीं कई ऐसे भी हैं, जिन्हें मोक्ष प्राप्त करना है। इन सभी जरूरतों व समस्याओं का निदान आचार्य चाणक्य के सिर्फ एक श्लोक में मिलता है। इस श्लोक में ही उन्होंने दुनिया की सबसे बेशकीमती व जरूरी चीजों का उल्लेख किया है।
चाणक्य नीति श्लोक
नात्रोदक समं दानं न तिथि द्वादशी समा।
न गायत्र्या: परो मंत्रो न मातुदेवतं परम्।।
दुनिया में सबसे बड़ा है दान
आचार्य चाणक्य के अनुसार, इस दुनिया में सबसे बड़ा धर्म व कार्य दान है। जरूरतमंदों को किया गया भोजन और पानी का दान ही सबसे बड़ा कार्य है। इसके अलावा दुनिया में कोई और चीज इतनी बेशकीमती नहीं है। जो व्यक्ति भूखे-प्यासे को भोजन और पानी पिलाता है वह ही भगवान का सबसे बड़ा भक्त और पुण्य आत्मा होती है। इसलिए अपने सामर्थ्य के अनुसार सभी को दान करना चाहिए।
एकादशी तिथि का व्रत
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में हिंदू पंचांग की 11 एकादशी तिथि को सबसे पवित्र तिथि बताया है। आचार्य के अनुसार, एकादशी तिथि पर पूजा-पाठ और उपवास करने वालों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होती है। इससे आत्मा व शरीर की शुद्धि भी होती है।
गायत्री मंत्र सबसे ताकतवर
आचार्य चाणक्य के अनुसार, हिंदू धर्म में कई मंत्र हैं जो प्रभावी हैं, लेकिन इन सभी में गायत्री मंत्र सबसे ताकतवर है। आचार्य के अनुसार, इस दुनिया में गायत्री मंत्र से बड़ा कोई और दूसरा मंत्र नहीं है। माता गायत्री को वेदमाता कहा जाता है। सभी वेदों की उत्पत्ति गायत्री से हुई है।
मां का दर्जा सबसे बड़ा
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि, इस दुनिया में जीव के रूप में जन्म लेने वाले सभी के लिए मां का दर्जा सबसे बड़ा है। आचार्य के अनुसार इस धरती पर मां ही सबसे बड़ी है। मां से बड़ा न कोई देवता है और न ही कोई तीर्थ व गुरु। जो व्यक्ति अपने माता-पिता की सेवा करता है उसे अन्य किसी की भक्ति करने की जरूरत नहीं होती है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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