Prayaschit Ka Marg And Yagya: जब इंसान अपने जीवनकाल में अच्छे कर्म करता है तो उसको स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है। अगर बुरे कर्म करता है तब नरक में यमदूतों से दण्डित किया जाता है। शास्त्रों में नरक से मुक्ति के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं। इन्हें मनुष्य अपने ध्यान में रखे और इनका अनुकरण करे तो यह जीवन शांति से बीतेगा और शरीर त्यागने के बाद भी उत्तम लोक में स्थान प्राप्त होगा। आइए जानते हैं कैसे करें अनजाने में हुए पापों का प्रायश्चित।
ऐसे करें पापों का प्रायश्चित
जाने अनजाने में किये हुए पाप का प्रायश्चित कैसे होता है। बहुत सारे पाप ऐसे होते हैं जो इंसान से अनजाने में हो जाते हैं। इंसान को पता ही नहीं लगता है कि उसने कोई पाप किया है। यदि हमसे अनजाने में कोई पाप हो जाए तो क्या उस पाप से मुक्ति का कोई उपाय है। श्रीमद्भागवत जी के षष्ठम स्कन्ध में महाराज परीक्षित जी ने श्री शुकदेव जी से ऐसा प्रश्न किया था और कहा कि आपने पांचवे स्कन्ध में जो नरकों का वर्णन किया है। उसको सुनकर तो गुरुवर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। प्रभूवर मैं आपसे ये पूछ रहा हूं कि यदि कुछ पाप हमसे अनजाने में हो जाते हैं। जैसे चींटी मर गयी हम लोग स्वास लेते हैं तो कितने जीव श्वासों के माध्यम से मर जाते हैं। भोजन बनाते समय लकड़ी जलाते हैं तो उस लकड़ी में भी कितने जीव मर जाते हैं तो इस पाप से मुक्ति कैसे मिले ।
इन पांच प्रकार के यज्ञ से कटेंगे पाप
जवाब शुकदेव जी ने परीक्षित से कहा - राजन ऐसे पाप से मुक्ति के लिए रोज प्रतिदिन पाँच प्रकार के यज्ञ करने चाहिए। महाराज परीक्षित जी ने कहा भगवन एक यज्ञ यदि कभी करना पड़ता है तो सोचना पड़ता है। आप पांच यज्ञ रोज करने की कह रहे हैं। यहां पर आचार्य शुकदेव जी सभी मानव के कल्याणार्थ बात बता रहे हैं। ये पांच यज्ञ मनुष्य को अनजाने में किए गए बुरे कृत्यों के बोझ से राहत दिलाते हैं।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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