मोहपाश से भरे हैं अयोध्या के ये स्थल, बार-बार आने का करेगा मन

आध्यात्म
Updated Jan 04, 2019 | 14:35 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

द्वापर युग की नगरी अयोध्या में कुछ तो मोहपाश है कि यहां आने वाले हर किसी को यहीं बस जाने का मन होता है। यहां के धार्मिक स्थलों की अपनी ही रोचक बातें हैं। आइये जाने आयोध्या के इन प्रसिद्ध स्थलों को।

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धार्मिक स्थल अयोध्या  |  तस्वीर साभार: Twitter

places of Ayodhya, filled with love: प्राचीन नगरी अयोध्या देश के प्रमुख तीर्थ स्थानों में अपना बेहद अहम स्थान रखता है। अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है। यह नगर सरयू नदी के तट पर बसा है। पहले इसे कौशल देश भी कहा जाता था। कहते हैं की यहाँ के कण कण में राम का वास है। ये सप्त पुरियों में से एक माना जाता है। भगवान श्रीराम के अयोध्या में सात प्राकट्य माने जाते हैं।

अयोघ्या के प्राचीन मंदिरों में सीतारसोई तथा हनुमानगढ़ी मुख्य हैं। कुछ मंदिर 18वीं तथा 19वीं शताब्दी में बने जिनमें कनकभवन, नागेश्वरनाथ तथा दर्शनसिंह मंदिर दर्शनीय हैं। कुछ जैन मंदिर भी हैं। यहाँ पर वर्ष में तीन मेले लगते हैं - मार्च-अप्रैल, जुलाई-अगस्त तथा अक्टूबर-नंवबर के महीनों में। इन अवसरों पर यहाँ लाखों यात्री आते हैं। तो आइये कुछ प्रमुख स्थलों के बारे में जाने, जहां जरूर जाना चाहिए।

हनुमानगढ़ी

 
अयोध्या के बीचोंबीच हनुमानगढ़ी में रामभक्त हनुमानजी का विशाल मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि अयोध्या में सबसे पहले हनुमानगढ़ी मंदिर में बजरंगबली के दर्शन करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए, फिर अन्य मंदिर जाना चाहिए। यानि हनुमानजी की कृपा के बिना किसी को रामजी का आशीर्वाद नहीं मिलता है।

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कनक भवन


अयोध्या का कनक भवन बेहद विशाल व भव्य मंदिर है। राम-जानकी की मूर्ति भी श्रद्धालुओं को मोहित कर देती है। श्रीराम-जानकी की प्रतिमा हर किसी का संताप हर लेती है।

राजा दशरथजी का महल


राजा दशरथ का महल भी बहुत प्राचीन और भव्य है। इसके परिसर में काफी संख्या में जमा होकर श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते रहते हैं।

श्रीराम जन्मस्थान (श्रीरामलला)
श्रीराम के जन्मस्थान पर अभी रामलला की मूर्ति विराजमान है।

दन्तधावन कुंड


अयोध्या नगरी के बीचोंबीच हनुमानगढ़ी इलाके में ही एक बड़ा-सा कुंड है, जो दन्तधावन कुंड नाम से जाना जाता है। इसे ही राम दतौन भी कहते हैं। कहा जाता है कि श्रीराम इसी कुंड के जल से सुबह अपने दांतों की सफाई करते थे।

श्रीराम मंदिर कार्यशाला
अयोध्या में प्रस्तावित श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए एक कार्यशाला बनाई गई है। यहां विशाल पत्थरों के स्तंभों को बेहद खूबसूरती के साथ तराशा गया है, जिस पर सुंदर नक्काशी की गई है।

सरयू नदी


सरयू नदी का जल एकदम साफ दिखाई पड़ता है। नदी में स्नान कर रहा कोई व्यक्त‍ि इसकी तलहटी को एकदम साफ निहार सकता है। पर्यटक इस नदी को नौका से पार भी करते हैं। मान्यता के अनुसार, सरयू नदी को पार करके ही श्रीराम जंगल गए थे। नदी के तट पर केवट प्रसंग का स्मरण हो आना अत्यंत स्वाभाविक है।

दिगंबर जैन मंदिर
अयोध्या जैन मतावलंबियों के लिए भी पवित्र तीर्थ है। मान्यता है कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव (आदिनाथ) का जन्म यहीं हुआ था।

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राम की पौड़ी
राम की पौढ़ी अयोध्‍या में ठीक उसी तरह है, जैसे हरिद्वार में हर की पौढ़ी है। यहां नयाघाट है जहां श्रद्धालु अयोध्‍या में सरयु नदी में स्‍नान करते है।

सीता की रसोई


सीता की रसोई वास्‍तव में एक शाही रसोई घर नहीं बल्कि एक मंदिर है। यह मंदिर राम जन्‍म भूमि के उत्‍तरी - पश्चिमी भाग में स्थित है। इस मंदिर में भगवान राम, लक्ष्‍मण, भरत और शत्रुघ्न मौजूद हैं।

मणि पर्वत
लक्ष्‍मण को मेघनाद ने युद्ध के दौरान घायल कर दिया था तो उनहे संजीवनी बूटी की जरूरत थी और हनुमान जी ने संजीवनी बूटी वाला पूरा पहाड़ ही उठाकर ले आए थे। किवंदतियों के अनुसार, पहाड़ का छोटा सा हिस्‍सा यहां गिर गया था। इस टीले को या पहाड़ी को मणि पर्वत के नाम से जाना जाता है। इस पर्वत के पास में ही एक और टीला स्थित है जिसे सुग्रीव पर्वत कहा जाता है।  मणि पर्वत की ऊंचाई 65 फीट है। यह पर्वत कई मंदिरों का घर है। अगर आप पहाड़ी की चोटी पर खड़े होते है तो पूरे शहर और आसपास के क्षेत्रों का मनोरम दृश्‍य नजर आता है।

बौद्ध धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण
यह माना जाता है कि भगवान बुद्ध, अयोध्‍या में 6 साल रूके थे और उन्‍होने मणि पर्वत पर ही अपने शिष्‍यों को धर्म का ज्ञान दिया था। इस पर्वत पर सम्राट अशोक के द्वारा बनवाया एक स्‍तुप है। इस पर्वत के पास में ही प्राचीन बौद्ध मठ भी है।

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