कार्तिक मास में तुलसी पूजन का महत्व बहुत अधिक होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन विधि-विधान के साथ तुलसी पूजा करना देवी लक्ष्मी को भी प्रसन्न करता है। हिंदू धर्म में तुलसी को पवित्र और पूजनीय माना गया है। कार्तिक का महीना भगवान कृष्ण की पूजा के लिए भी खास होता है। तुलसी में साक्षात लक्ष्मी का निवास माना गया है, इसलिए तुलसी पूजा अप्रत्यक्ष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा ही होती है। इसलिए कार्तिक मास में तुलसी के समीप दीपक जलाने से लक्ष्मी की प्राप्ति अवश्य होती है। ब्रह्मा जी ने स्वयं नारद जी को बताया था कि कार्तिक मास के समान कोई भी माह नहीं होता है। पुराणों में वर्णित है कि कार्तिक मास धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष प्रदान करने वाला होता है और इस समय पर तुलसी पूजा विशेष फलदायी होती है।
कार्तिक मास में तुलसी पूजा करने से पाप नष्ट होते हैं और देवी लक्ष्मी की कृपा से मनुष्य को सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस मास में भगवान विष्णु एवं तुलसी के निकट दीपक जलाने से अमोघ पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
ऐसे करें तुलसी पूजा (Tulsi Pooja Vidhi)
तुलसी के पौधे के चारों तरफ स्तंभ बनाकर उस पर तोरण सजा दें और तुलसी के गमले या चबूतरे पर स्वास्तिक का शुभ चिन्ह बना दें। इसके बाद रंगोली से कमल का चित्र बनाकर वहां शंख,चक्र और गाय के पैर भी बनाएं। तुलसी के पौधे के साथ ही आंवले का पौधा भी रखें, क्योंकि आंवले में भगवान विष्णु का वास होता है। तुलसी का पंचोपचार सर्वांग पूजा के बाद दशाक्षरी मंत्र से तुलसी का आवाह्न करें। ‘श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा’ मंत्र का जाप करें और घी का दीप और धूप दिखाने के साथ ही सिंदूर,रोली,चंदन और नैवेद्य चढ़ाएं। तुलसी जी को वस्त्र चढ़ाने के बाद फिर लक्ष्मी अष्टोत्र या दामोदर अष्टोत्र पढ़ें। तुलसी के चारों ओर दीपदान करें। सुबह शाम तुलसी के समीप दीपक जलाएं।
तुलसी को जल देते समय इस मंत्र का जाप करें (Tulsi Pooja Mantra)
महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
तुलसी नामाष्टक मंत्र
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
कार्तिक मास प्रारंभ से ही तुलसी पूजा करनी चाहिए और कार्तिक मास के अंतिम दिन तक शाम को रोज दीपदान करना चाहिए।
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