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Vastu Tips for Child Study : शिक्षा का संबंध गुरू से होता है। जन्मकुंडली का पंचम भाव एजुकेशन को दर्शाता है। पंचम से पंचम अर्थात नवम भाव जो कि भाग्य भाव है उसकी भी महती भूमिका है। दशम कार्य छेत्र को दर्शाता है। बच्चे अत्यंत चंचल होते हैं। चंद्रमा ही चंचलता देता है। बुध बौद्धिक विकास का ग्रह है। शनि टेक्निकल नालेज का कारक है। शुक्र लिखने और अभिव्यक्ति का महत्वपूर्ण ग्रह है। मंगल शरीरिक सौष्ठव प्रदान करता है।
ज्योतिष का वास्तु से बहुत गहरा संबंध है। इसमें इन सारे ग्रहों को ठीक करते हुए वास्तु अनुसार बच्चे के निवास और अध्ययन कक्ष को ठीक करना पड़ेगा। सर्वप्रथम ईशान यानी उत्तर पूर्व को पवित्र ,जल से भरा हुआ और हल्का अर्थात वहां बहुत ज्यादा निर्माण कार्य नहीं करना है। पूरे मकान के वास्तु में पूर्व और उत्तर का वेट कम होना चाहिए और साउथ तथा वेस्ट का वेट ज्यादा होना चाहिए।हमेशा बच्चों का स्टडी रूम अलग होना चाहिए।
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कुछ वास्तु टिप्स
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इस प्रकार इतनी बातों को ध्यान में रखने से आपका बच्चा पढ़ाई में अव्वल रहेगा। माता पिता का कर्तव्य है कि अपने बच्चों को खूब प्रोत्साहित करें। उनका मनोबल बढ़ाएं। उनके साथ खुद विद्यार्थी बन जाएंगे और खूब मेहनत बच्चे से कराएंगे और खुद करेंगे तो आपकी संतान सफलता की गगन चुम्बी ऊंचाइयों को स्पर्श कर आपका नाम रोशन करेगा।
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