Saturn gemstone sapphire: हर किसी के लिए नहीं होता शनि का रत्न नीलम, इन लोगों को पहनने से होगा फायदा

Saturn gemstone sapphire: नीलम रत्न को बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है, इसीलिए इसे सही तरह से पहनना बेहद जरूरी है। इतना ही नहीं, नीलम रत्न हर किसी के लिए उपयोगी नहीं हो सकता। ऐसे में ज्योतिषाचार्य से सलाह के बाद ही नीलम रत्‍न पहनना चाहिए।

gemstone sapphire
Saturn gemstone sapphire effects  |  तस्वीर साभार: People
मुख्य बातें
  • नीलम शनि ग्रह का रत्न है
  • नीलम स्टोन बहुत ऊर्जा वाला होता है
  • 72 घंटे में दिखने लगता है नीलम का असर

Saturn gemstone sapphire: ज्योतिष के अनुसार नीलम शनि ग्रह का रत्न है। आमतौर पर ये नीले रंग का होता है. नीलम स्टोन बहुत ही ज्यादा ऊर्जा वाला माना जाता है। नीलम को खानों में से खुदाई करके निकाला जाता है। आपने बिना किसी जानकारी के नीलम पहन लिया तो आपको इसके दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है। इसके बुरे प्रभाव के कारण बीमारियां, आलस्य, झगड़े, धन हानि, नुकसान, कामकाज में रुकावटें आने लगती हैं।

इन बातों का विशेष ख्याल रखें

  • वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुम्भ लग्न वालों के लिए नीलम अच्छा रहता है। इन लोगों को कुंडली विश्लेषण के बाद नीलम रत्न पहन लेना चाहिए।
  • शनि ग्रह को व्यवसाय, समृद्धि व आपके द्वारा किये गए कर्मो का कारक बताया गया है।
  • नीलम के माध्य्म से करियर संबंधी परेशानियों को भी दूर किया गया है। 
  • शनि आपके कर्मों के हिसाब से फल प्रदान करते है, क्योंकि यह न्याय के देवता है। इनको अत्याचार पसन्द नहीं है। ये कलयुग के साक्षात देवता भी हैं।
  • नीलम को पहनने के बाद आपको 72 घंटे में ही इसका असर महसूस होने लग जायेगा। अब यह प्रभाव अच्छा बुरा भी हो सकता है।
  • नीलम के साथ माणिक, मोती और मूंगा नहीं पहनने चाहिए।
  • हमेशा योग्य ज्योतिषी को अपनी कुंडली दिखाने के बाद ही नीलम रत्न पहना चाहिए। वो इसलिए की यह रत्न बहुत ज्यादा असरदायी होता है।

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किन स्थितियों में नीलम पहनना चाहिए

  • अगर शनि लग्न, पंचम या 11वें स्थान पर हो तो नीलम नहीं पहना चाहिए।
  • शनि ग्रह का सूर्य, चन्द्र, मंगल से युति या दृष्टि संबंध होने पर व्यक्ति को नीलम धारण नहीं करना चाहिए। 
  • शनि षष्ठेकश या अष्टममेश के साथ बैठा हो तो नीलम पहनना शुभ होता है। शनि अपने भाव से छठे या आठवें स्थान पर हो तो नीलम पहन सकते हैं।
  • जब शनि की महादशा, अन्तर्दशा, साढ़ेसाती या ढैय्या की अवधि चल रही हो तो नीलम धारण कर सकते हैं।
  • शनि वक्री, अस्तगत या दुर्बल हो और शुभ भावों का प्रतिनिधित्व कर रहा हो तो नीलम धारण कर सकते हैं।
  • जन्मांक में शनि, गुरू का नवपंचम योग है और शनि ग्रह का अन्य किसी ग्रह से प्रतियोग नहीं, तब नीलम धारण करने पर विचार करना चाहिए।

नीलम कब और किस तरह पहनना चाहिए

  • नीलम को हमेशा शुक्ल पक्ष के शनिवार को पहनना चाहिए।
  • इसे पंचधातु या चांदी की अंगूठी में पहनना चाहिए।
  • सोने में नीलम धारण करना सही नहीं माना जाता है।
  • शनिवार मध्य रात्रि को इसे धारण करने का सही समय बताया गया है।
  • नीलम को बाएं हाथ की उंगली में पहनना चाहिए.
  • इसे पहनने से पहले भगवान शिव और शनिदेव का ध्यान कर ॐ शम शनैश्चराय नमः मंत्र से 108 बार नीलम को अभिमंत्रित करने के बाद ही इसको पहनना चाहिए। 
  • नीलम का उपरत्न जमुनिया होता है। इसका रंग पके जामुन की तरह होता है। इसके अलावा यह हल्के गुलाबी और सफेद रंग में भी पाया जाता है। अगर आप नीलम नहीं खरीद सकते तो उपरत्न जामुनिया भी खरीद कर पहन सकते है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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