कुंडली में पितृदोष का संकेत हैं ये परेशानियां, ऐसे करें दूर

आध्यात्म
Updated Dec 17, 2017 | 10:10 IST | Shivam Pandey

जिस जातक की कुंडली में पितृदोष होता है उसे धन अभाव से लेकर मानसिक क्लेश तक का सामना करना पड़ता है।

ज्योतिष में पितृदोष का बहुत महत्व माना जाता है।  |  तस्वीर साभार: TOI Archives

नई दिल्ली.  पितृ दोष से जब भी कोई प्रभावित होता है तो कड़ी मेहनत और लगातार प्रयास के बावजूद उसे मेहनत का फल नहीं मिल पाता। यही नहीं, वह व्यक्ति कई तरह की दिक्कतों से लगातार घिरा रहता है। इनमें घर में लगातार धन की कमी बनी रहना, धन की हानि होते रहना, शादी में दिक्कत आना, परिवार में कलह रहना, घर में किसी न किसी का बीमार रहना जैसी चीजें शामिल हैं। इनमें से कोई भी समस्या लगातार बनी हुई है तो आपको पितृ शांति के उपाय करने चाहिए। 

श्राद्ध पक्ष में करें तर्पण 
ज्योतिष में पितृदोष का बहुत महत्व माना जाता है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में पितृदोष सबसे बड़ा दोष माना गया है। इससे पीड़ित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टमय हो जाता है। जिस जातक की कुंडली में यह दोष होता है उसे धन अभाव से लेकर मानसिक क्लेश तक का सामना करना पड़ता है। पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष में तर्पण करने से पितृदोष की शांति होती है।

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पूर्णिमा पर पितरों को दें धूप
पितृदोष हर अमावस्या और पूर्णिमा पर पितरों को धूप दें। इसके लिए गोबर के कंडे या उपले पर शुद्ध घी और गुड़ से धूप करें।हर रोज सुबह और शाम को पूजा करें। इस दौरान हनुमान चालीसा या अष्टक का पाठ करें। इससे न केवल पितरों को शांति मिलती है बल्कि प्रभावित व्यक्ति के जीवन की बाधाएं भी दूर होती हैं।

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 शाम के समय में जलाएं दीप 
पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें। शाम के समय में दीप जलाएं और नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें। इससे भी पितृ दोष की शांति होती है। 

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आचरण को रखें पवित्र
पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए जीवन में सात्विकता बनाए रखें। आचरण पवित्र रखें और भाषा में मधुरता लाएं।पितृ दोष को दूर करने के लिए किसी भी अमावस्या, पूर्णिमा या पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म किया जा सकता है। ऐसा करने से पितृ तृप्त होकर हमें समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं और सफलता की राहें सुगम बनाते हैं।

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