नई दिल्ली: इलाहाबाद शहर एक बार फिर सुर्खियों में है। इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया है। यानी लगभग 450 साल बाद यह शहर एक बार फिर से अपने पुराने नाम यानी प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा।
गौर हो कि 15वीं शताब्दी में इस पौराणिक भूमि पर मुगलों ने कब्जा कर लिया और इसका नाम प्रयागराज से बदलकर अलाहाबाद कर दिया। अलाहाबाद इलाह+आबाद को मिलाकर बनता है जो एक फारसी शब्द है। इलाह का मतलब अल्लाह और आबाद का मतलब बसाया हुआ यानी अल्लाह का बसाया हुआ शहर। मुगल सम्राट अकबर के अलाहाबाद करने से पहले इसका नाम प्रयागराज ही था। बोलचाल की प्रचलन के मुताबिक अलाहाबाद ,इलाहाबाद और एलाहाबाद के नाम से भी पुकारा जाने लगा।
इस शहर का अपना सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व है। प्रयाग को ऋषि भारद्वाज, ऋषि दुर्वासा का कर्मक्षेत्र भी माना जाता है। रामचरित मानस में इस शहर का नाम प्रयागराज पाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक इस शहर का प्राचीन नाम प्रयागराज ही है।
प्रयागराज का नाम पुराणों में भी आता है। पुराणों और हिन्दू धर्म की मान्यता के मुताबिक इस भूमि पर ब्रह्मा जी ने सबसे पहले यज्ञ संपन्न किया था। प्रयाग यानी प्र से प्रथम और य से ज्ञ मिलकर इसका नाम प्रयाग पड़ा। 'प्र' और 'याग' इन्हीं दोनों शब्दों को मिलाकर यह प्रयाग बन गया। प्रयाग को संगम नगरी और तीर्थों के राजा के नाम से भी जाना जाता है। तभी इसे तीर्थराज भी कहते हैं।
ऐसी पौराणिक मान्यता है कि ब्रह्मा ने संसार की रचना के बाद पहला बलिदान यहीं दिया था और इसी वजह से इसका नाम प्रयाग पड़ा। संस्कृत में प्रयाग का एक मतलब 'बलिदान की जगह' भी है। प्रयागराज में भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। इस संगम को ‘त्रिवेणी संगम’ के नाम से जाना जाता हैं । इलाहाबाद में प्रत्येक 12 वर्ष में कुंभ का मेला लगता है ।
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