एमपी के दक्षिणमुखी गणपति मंदिर में सालों से जल रही ज्योति, 900 साल पुराने मंदिर में है गोबर गणेश का वास

आध्यात्म
Updated Oct 28, 2020 | 14:40 IST | Ritu Singh

Ganesh Amritvani, Maheshwar Ganapati temple: मध्यप्रदेश में गणपति जी का एक मंदिर ऐसा है, जहां वह दक्षिणमुखी हैं और उनकी प्रतिमा भी एक खास चीज से बनी है। यहां पूजा करने से सारी कामनाएं कैसे पूरी होती हैं।

Maheshwar Ganapati temple, महेश्वर स्थित गणपति मंदिर
Maheshwar Ganapati temple, महेश्वर स्थित गणपति मंदिर 
मुख्य बातें
  • गणपति जी की यहां गोबर से बनी प्रतिमा विराजमान है
  • माना जाता है इस मंदिर में पंचतत्व का आशीर्वाद मिलता है
  • मंदिर का इतिहास 900 साल पुराना माना गया है

Maheshwar Madhya Pradesh Ganesh Amritvani: मध्यप्रदेश के महेश्वर में स्थित गणपति जी का ये मंदिर बहुत मायने में खास है। पहले तो गणपति जी दक्षिणमुखी अवस्था में बहुत कम ही मिलते हैं और इस मंदिर में वह दक्षिण दिशा में मुख कर ही विराजमान हैं। दूसरे इस मंदिर में जिस चीज से भगवान गणपति की प्रतिमा बनी है वह शायद ही कहीं और होगी।

इस मंदिर में दूर-दूर से लोग दर्शन को आते हैं और मान्यता है कि यहां आने वाले हर मनुष्य की कामना जरूर पूरी होती है। कामना पूरी होने पर भक्त यहां फिर से चढ़ावा चढ़ाने आते हैं। तो आइए इस मंदिर के इतिहास के साथ ही इस मंदिर की खासियत भी जानें।

900 साल पुराने मंदिर में है गोबर से बनी प्रतिमा:

मध्य प्रदेश के महेश्वर में दक्षिणमुखी भगवान गणेश मंदिर 900 साल पुराना बताया जाता है। खास बात ये है इस मंदिर में भगवान की प्रतिमा किसी पत्थर या धातु की नहीं बल्कि गोबर से बनी है। हिंदू धर्म में गोबर को पवित्र और शुद्ध माना गया है। इसी कारण इस मंदिर को गोबर गणेश के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

मंदिर की बनावट भी है अलग:

मंदिर का बाहरी हिस्सा गुंबदनुमा है, जो मंदिर की बनावट से अलग है जबकि अंदर का हिस्सा श्रीयंत्र के आकार की तरह है। बताया जाता है कि औरंगजेब के शासन काल में इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का प्रयास किया गया था, जिसके कारण इसका बाहरी हिस्सा गुबंद जैसा हो गया लेकिन उसकी मंशा पूरी नहीं हो सकी। इसलिए बाहरी हिस्से में ही केवल गुंबद नजर आता है।

पंचतत्वों का है इस मंदिर में वास:

मंदिर में भगवान गणेश के साथ उनकी पत्नियां रिद्धि-सिद्धि भी मौजूद हैं। गणपति जी के माथे पर मुकुट, गले में हार और मनमोहक श्रृंगार नजर आता है। मान्यता है कि भगवान गणेश की मिट्टी और गोबर की प्रतिमा में पंचतत्वों का वास होता है। विशेषकर इसमें महालक्षमी का वास होता है, इसलिए इस मंदिर में गणपति पूजा से सभी कामनाएं पूरी होती हैं।

12 साल से जल रही है अखंड ज्योति:

गोबर गणेश के इस मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर में उल्टा स्वास्तिक बनाकर लोग अपनी कामना पूरी करने के लिए प्रभु से प्रार्थना करते हैं और जब कामना पूरी हो जाती है तो लोग दोबारा यहां आकर सीधा स्वास्तिक बना जाते हैं। इतना ही नहीं यहां करीब 12 साल से अखंड ज्योति जल रही है। इस मंदिर का अहिल्याबाई होल्कर ने 250 साल पहले जीर्णोद्घार कराया था।

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