Ganesh ji ki aarti: जीवन की हर बाधा होगी दूर, जब गणपति की पूजा कर गाएंगे 'जय देव जय देव...' आरती

भजन/आरती
Updated Nov 27, 2019 | 07:55 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

ganesh aarti in hindi: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और दु:खहर्ता माना गया है। बुधवार का दिन बप्‍पा को समर्पित माना गया है। इस दिन घर पर पूजा कर के यह पावन आरती जरूर गाएं..

Ganesh ji ki aarti
Ganesh ji ki aarti  
मुख्य बातें
  • भगवान गणेश की आरती बुधवार को सुनने से भी काफी लाभ मिलता है
  • बुधवार, भगवान गणेश को समर्पित होता है
  • इनकी पूजा सभी देवी देवताओं से पहले की जाती है

भगवान गणेश दुखों का नाश और संकट दूर करने वाले देवता माने गए हैं। इनकी पूजा सभी देवी देवताओं से पहले की जाती है। आज का दिन यानि बुधवार, भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन उनकी पूरी विधि विधान से पूजा होती है।

यही नहीं भगवान गणेश की आरती बुधवार को सुनने से भी काफी लाभ मिलता है। आज हम आपको गणेश जी की एसी आरती सुनाएंगे जो कि सबसे ज्‍यादा प्रसिद्ध है। आइये यहां सुनें गणेश जी ही यह आरती..

 

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची....

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

 

 

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

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