Manikaran Sahib: शेषनाग के हुंकार से आज भी खौलता है यहां का पानी, डुबकी लगाने से दूर होता है जोड़ों का दर्द

धार्मिक स्‍थल
Updated Dec 02, 2019 | 08:12 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

गुरुद्वारा मणिकर्ण साहिब (manikaran sahib) किसी चमत्‍कारी जगह से कम नहीं है। यहां का पानी ठंड में भी खौलता रहता है। माना जाता है कि यहां जो डुबकी लगा ले उसके जोड़ों का दर्द हमेशा के लिये ठीक हो जाता है।

manikaran sahib
manikaran sahib 
मुख्य बातें
  • मनाली की वादियों के बीच बसा मणिकर्ण साहिब गुरुद्वारा किसी चमत्‍कारी तीर्थस्‍थल से कम नहीं है
  • इस गुरूद्वारे में देश-विदेश हर जगह से लोग आते हैं
  • जमीन से इस गुरूद्वारे की ऊंचाई 1760 मीटर है और कुल्लू से यह 45 किलोमीटर की दूरी पर है

भारत भर में ऐसे कई तीर्थस्‍थल और मंदिर हैं जिनके पीछे कोई न कोई राज छुपा हुआ है। फिर बात चाहे हिमाचल प्रदेश के बीच बसे गुरुद्वारे की ही क्‍यों न हो। जी हां, मनाली की वादियों के बीच बसा मणिकर्ण साहिब गुरुद्वारा किसी चमत्‍कारी तीर्थस्‍थल से कम नहीं है। आप इस बात को जान कर हैरत में पड़ जाएंगे कि इस गुरुद्वारे का पानी बर्फीली ठण्‍ड में भी पानी उबलता रहता है। मान्‍यता है कि शेषनाग के गुस्‍से के कारण यह पानी उबल रहा है।

इस गुरूद्वारे में देश-विदेश हर जगह से लोग आते हैं। यहां मौजूद गंधकयुक्त गर्म पानी में जो कोई कुछ दिन तक स्नान कर ले, उसकी बीमारियां ठीक हो जाती हैं। कहा जाता है कि यह पहली जगह है जहां गुरू नानक देव जी ने ध्‍यान लगाया था और बड़े-बड़े चमत्‍कार किये थे। जमीन से इस गुरूद्वारे की ऊंचाई 1760 मीटर है और कुल्लू से यह 45 किलोमीटर की दूरी पर है। आपको जानकार हैरानी होगी कि इस गुरुद्वारे में एक साथ लगभग 4000 लोग रुक सकते हैं। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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क्यों पड़ा इस जगह का नाम मणिकर्ण?
आप सोच रहे होंगे कि इस जगह का नाम मणिकर्ण कैसे पड़ा। बताया जाता है कि शेषनाग ने भगवान शिव के क्रोध से बचने के लिये यहां एक मणि फेंकी थी , जिस वजह से यह चमत्‍कार हुआ था। ऐसा क्‍यूं हुआ इसके पीछे भी कहानी है, बताया जाता है कि 11 हजार वषों पहले भगवान शिव और माता पार्वती ने यहां पर तपस्‍या की थी। मां पार्वती जब नहा रही थीं, तब उनके कानों की बाली में से एक नग पानी में जा गिरा। फिर भगवान शिव ने अपने गणों से इस मणि को ढूंढने को कहा लेकिन वह नहीं मिल सका। इतने में भगवान शिव नाराज हो गए और उन्‍होंने अपनी तीसरा नेत्र खोल दिया, जिससे नैनादेवी नामक शक्‍ति पैदा हुई। नैना देवी ने शिव को बताया कि उनकी मणि शेषनाग के पास है। शेषनाग ने मणि को देवताओं की प्रार्थना करने पर वापस कर दिया, लेकिन वे इतने नाराज हुए कि उन्‍होंने जोर की फुंकार भरी जिससे इस जगह पर गर्म जल की धारा फूटने लगी। तभी से इस जगह का नाम मणिकर्ण पड़ गया। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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96 ड्रिगी तापमान पर खौलता है यहां का पानी 
यहां का पानी 86 से 96 ड्रिगी तापमान पर खौलता रहता है। गुरूद्वारे में जो लंगर बनता है वह भी इसी खौलते पानी से तैयार किया जाता है। कई श्रद्धालू इस पानी को पीते हैं और इसमें डुबकी लगा लगा कर अपनी बीमारी को ठीक करते हैं। माना जाता है कि यहां पर नहाने से आप मोक्ष की प्राप्‍ती कर सकते हैं। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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क्‍या कहते हैं वैज्ञानिक
गर्म पानी के पीछे क्‍या रहस्‍य है इस बात से वैज्ञानिक भी चकित हैं। उनका कहना है कि पानी में रेडियम है। 

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