शनिदेव के प्रकोप से शिवजी का धरती पर आना पड़ा था। वहीं श्रीराम को 14 साल का वनवास हुआ था। शनि के प्रकोप से कोई नहीं बच पाता, लेकिन बजरंगबली ही अकेले ऐसे हैं जिनसे शनि बैर भाव नहीं रखते। यही नहीं शनिदेव हनुमान जी से स्वयं भय खाते हैं और इसका सबूत गुजरात के कष्टभंजन मंदिर में दिखता है। इस मंदिर में हनुमान जी के पैर के पास नारी के रूप में शनिदेव विराजमान हैं। इस मंदिर में शनि देव के नारी रूप में विराजमान होने के पीछे एक कहानी है। कहा जाता है कि हनुमानजी के डर से शनिदेव नारी बने थे।
युद्ध भी कर चुके हैं शनिदेव और बजरंगबली
शनिदेव और बजरंगबली में युद्ध भी हो चुका है और कहा जाता है कि शनिदेव को हनुमानजी ने ऐसा हराया था कि वह नतमस्तक हो गए थे। यही कारण है कि शनिदेव हनुमान भक्त पर अपना क्रोध नहीं दिखाते। हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव भी शांत होते हैं।
गुजरात के भावनगर स्थित मंदिर में शनि हैं नारी रूप में
गुजरात के भावनगर में स्थित सारंगपुर गांव में कष्टभंजन हनुमान मंदिर का प्राचीन मंदिर है और यहां शनिदेव नारी रूप में विराजे हैं। शनिदेव के नारी रूप के पीछे एक कथा है। एक बार धरती पर शनि देव का कोप इतना बढ़ गया कि मानव जाति परेशान हो गई। लोगों को ज्ञात था कि शनिदेव के प्रकोप से केवल हनुमानजी ही बचा सकते हैं। सभी ने हनुमान जी से शनिदेव से बचाने की विनती की। हनुमान जी को जब यह ज्ञात हुआ कि शनि उनके भक्तों को परेशान कर रहे तो वह क्रोधित हो गए। क्रोध में वो गदा लेकर शनि को खोजते हुए उनकी ओर आने लगे। शनि देव को जब पता चला कि हनुमानजी क्रोधित हो कर उन्हें खोज रहे हैं तो वह डर गए। वह जानते थे कि हनुमान जी से उनकी रक्षा कोई और नहीं कर सकता। उनसे बचने के लिए तुरंत ही स्त्री रूप धारण कर लिए।
हनुमान जी से बचने को निकाला रास्ता
शनि जानते थे कि हनुमान ब्रह्मचारी है और वो कभी किसी स्त्री पर हाथ नहीं उठा सकते। इसलिए वह नारी रूप धारण कर लिए और हनुमान जी के आते ही उनके चरणों में बैठ गए। हनुमान जी के समक्ष वह क्षमा याचना करने लगे। हनुमान जी जान गए थे कि ये नारी रूप में शनि देव ही है, लेकिन हनुमान नारी पर हाथ नहीं उठाते थे इसलिए उन्होंने नारी रुपी शनि देव को क्षमा कर दिया। इसके बाद शनि ने हनुमान के भक्तों पर से अपनी कुदृष्टि हटा दी और नारी रूप में हनुमान जी के चरणों में रहने का प्रण लिया।
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