Gadhkalika Mata Temple: हनुमान जी से डर कर भागी थीं माता गढ़कालिका, साधना के लिये यहां आते हैं तांत्रिक 

धार्मिक स्‍थल
Updated Dec 24, 2019 | 06:30 IST | Ritu

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन (Ujjain) के कालीकाघाट () में ऐसा मंदिर है, जहां तंत्र साधना (Tantra Sadhna) के लिए दूर-दूर से तांत्रिक आते हैं। यहां स्थापित माता की प्रतिमा सतयुग काल की है।

Shaktipeeth Shri Gadhkalika Mata Temple
Shaktipeeth Shri Gadhkalika Mata Temple  
मुख्य बातें
  • कालिका देवी के मंदिर में दूर-दूर से आते हैं तांत्रिक
  • देवी सती के होंठ गिरने से बना था यहां सिद्धपीठ बना
  • दुख से मुक्ति पाने के लिए भक्त यहां आते हैं

कालीघाट स्थित कालिका माता के प्राचीन मंदिर को गढ़ कालिका के नाम से जाना जाता है। ये प्राचीन मंदिर कई रोचक इतिहास समेटे हुए है। इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त भी आते हैं जो किसी न किसी दुख से मुक्त होना चाहते हैं। इस मंदिर में तंत्र साधना के लिए भी तांत्रिक आते हैं और तंत्र मुक्ति से निजात पाते हैं। देवियों में कालिका को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। तांत्रिकों की देवी कालिका के इस मंदिर को चमत्कारिक माना गया है। माना जाता है की इस मंदिर की  स्थापना महाभारतकाल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग के काल की है। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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सतगुग काल का मंदिर में तंत्र साधना सिद्ध करते हैं
इस मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन ने किया था बाद में ग्वालियर के महाराजा ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। इस मंदिर में प्रवेश द्वार के आगे सिंह की प्रतिमा है और इसके आसपास धर्मशालाएं हें, जिसमें पुरातन समय में पथिक या तांत्रिक आकर मां की पूजा किया करते थे। धर्मशाला के बीच देवी मंदिर हैं। शक्ति-संगम-तंत्र में 'अवन्ति संज्ञके देश कालिका तंत्र विष्ठति' कालिका का उल्लेख भी है।

हुनमान जी से डर गई थीं कालिका माता
 हालांकि गढ़ कालिका का मंदिर शक्तिपीठ में शामिल नहीं है,लेकिन उज्जैन क्षेत्र में मां हरसिद्धि शक्तिपीठ होने के कारण इस क्षेत्र का महत्व बढ़ गया है। पुराणों में लिखा है कि उज्जैन में शिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर मां भगवती सती के होंठ गिरे थे। वहीं लिंग पुराण में लिखा है कि रामचंद्रजी जब रावण का वध कर आयोध्या लौट रहे थे तो रात में रुद्र सागर तट पर रुके थे। उधर रात में भगवती कालिका अपने भोजन के तलाश में निकली थी तभी उनकी नजर ाने के लिए आगे बढ़ने लगी तभी अचानक हनुमान जी ने अपना विशाल रूप धारण कर लिया। यह देखते ही देवी वहां से डर का भागने लगीं। उस समय उनका अंश वहीं गिर गया और उसी स्थान पर बाद में कालिका मंदिर का निर्माण हुआ।

सती की प्रतिमाएं भी बनी हैं
इसी मंदिर के निकट ही गणेश जी और हनुमान मंदिर है, वहीं विष्णु की सुंदर चतुर्मुख प्रतिमा मौजूद है। गणेशजी के निकट ही से थोड़ी दूरी पर शिप्रा नदी है और घाट पर कई सती की प्रतिमाएं हैं। उज्जैन में जो सतियां हुई हैं, उनका ही यहां स्मारक बनाया गया है।  नदी के उस पार उखरेश्वर नामक प्रसिद्ध श्मशान-स्थली भी है। इस मंदिर पर नवरा‍त्रि में विशेष मेला लगता है और तंत्र साधाना की जाती है।

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