मुंबई. देवभूमि उत्तराखंड के मंदिर और धार्मिक स्थल अपने अंदर कई राज समेटे हुए हैं। मान्यताओं के अनुसार देवी के कुल 51 शक्तिपीठ में से कई शक्तिपीठ इस राज्य में स्थित है। ऐसा ही एक शक्तिपीठ है सुरकंडा देवी का मंदिर।
सुरकंडा देवी का मंदिर टिहरी जनपद के सुरकुट स्थित हैं। इस मंदिर में माता काली की प्रतिमा स्थापित है। इसे सिद्धपीठ का भी दर्जा मिला हुआ है। इसके कपाट पूरे साल खुले रहते हैं।
मान्यताओं के अनुसार यहां पर दर्शन से सात जन्मों के पाप भी धुल जाते हैं। केदारखंड और स्कंद पुराण के अनुसार यहां पर देवराज इंद्र ने अपना मन्नत मांगकर अपना खोया राज्य वापस हासिल किया था।
गिरा था माता सती का सिर
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सती की मृत्यु के बाद भोलेनाथ उनका शव लेकर हिमालय की तरफ निकल गए थे। उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से शरीर के 51 भाग किए थे।
माता सती के शरीर के ये 51 भाग जिस स्थान पर गिरे उस स्थान पर शक्ति पीठ की स्थापना की गई। माता सती का सिर जिस स्थान पर गिरा उसे सिरकंडा कहा गया है। यही सिरकंडा आगे चलकर सुरकंडा के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
ऐसा होता है प्रसाद
सुरकंडा माता मंदिर में अलग तरह का प्रसाद बनाया जाता है। यहां पर भक्तों को रौंसली की पत्तियां दी जाती है, जो कई तरह के औषधीय गुण से भरपूर भी होती है।
स्थानीय निवासी इस पत्ती को देववृक्ष मानते हैं। पत्तियों को जिस भी स्थान पर रखा जाए वहां सुख-समृद्धि का वास होता है। पूजा के अलावा लकड़ी का प्रयोग व्यवसायिक स्थानों पर किया जा सकता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल