मोक्षदा एकादशी: सर्वोत्तम है ये एकादशी, ऐसे करेंगे पूजा तो म‍िटेंगे कष्‍ट

आध्यात्म
Updated Nov 30, 2017 | 00:14 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि जो भी व्‍यक्ति मोक्ष पाने की इच्‍छा रखता है उसे इस एकादशी पर व्रत रखना चाहिए। इसी दिन भगवान श्रीकृष्‍ण के मुख से पवित्र श्रीमदभगवद् गीता का जन्‍म हुआ था इसलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।

मार्गशीर्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है  |  तस्वीर साभार: YouTube

नई द‍िल्‍ली: आज 30 नवंबर, 2017 (गुरुवार ) को मोक्षदा एकादशी मनाई जा रही है। मार्गशीर्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। ऐसी पौराणिक मान्‍यता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से मनुष्‍यों के सभी पाप नष्‍ट हो जाते हैं।  इस व्रत के प्रभाव से पितरों को भी मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि यह व्रत मनुष्‍य के मृतक पूर्वजों के लिए स्‍वर्ग के द्वार खोलने में मदद करता है। 

क्या है महत्व
शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि जो भी व्‍यक्ति मोक्ष पाने की इच्‍छा रखता है उसे इस एकादशी पर व्रत रखना चाहिए। इसी दिन भगवान श्रीकृष्‍ण के मुख से पवित्र श्रीमदभगवद् गीता का जन्‍म हुआ था इसलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। मोक्षदा एकादशी हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार 11वें दिन यानी चंद्र मार्गशीर्ष (अग्रहायण) के महीने में चांद (शुक्‍ल पक्ष) के दौरान मनाई जाती है।

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मोक्ष प्रदान करने वाला एकादशी
साल भर में कुल 24 एकादशी आती है, जिसमें देवीशयनी और देवप्रबोधनी एकादशी सबसे बड़ी होती है। देव देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु सोते हैं और देवप्रबोधनी के दिन जगते हैं, लेकिन इन दोनों एकादशियों के अलावा एक एकादशी है मोक्षदा एकादशी। यह एकादशी अपने नाम के अनुसार व्रती को मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है। 

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मोक्षदा एकादशी बनाम गीता
शास्त्रों के मुताबिक गीता जयंती यानी मोक्षदा एकादशी के दिन भगवत गीता की पूजा करके आरती करनी चाहिए, इसके पश्चात गीता का पाठ करना चाहिए। इससे महापुण्य की प्राप्त होती है। मोक्षदा एकादशी  को दक्षिण भारत में वैकुण्ठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के प्रारम्भ होने से पूर्व अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। विष्‍णु पुराण के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत हिंदू वर्ष की अन्‍य 23 एकादश‍ियों पर उपवास रखने के बराबर है। 

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पूजा विधि
-इस दिन तुलसी की मंजरी, धूप-दीप आदि से भगवान दामोदर का पूजन करना चाहिए।
-इस दिन उपवास करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
- इस दिन व्रत करना सर्वोत्तम फल प्रदान करनेवाला होता है।
-भगवद्गीता का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता 
-इस दिन गीता के पाठ से मुक्ति मोक्ष और शान्ति का वरदान मिलता है
- गीता के पाठ से जीवन की ज्ञात अज्ञात समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।
 -पूजा पाठ करने के बाद व्रत-कथा सुननी चाहिए।
- व्रत एकदाशी के अलग दिन सूर्योदय के बाद खोलना चाहिए।
 -इसके बाद श्री कृष्ण के मन्त्रों का जाप करें।
- फिर गीता का सम्पूर्ण पाठ करें या अध्याय 11 का पाठ करें।

व्रत रखने और पारण का समय
मोक्षदा एकादशी तिथ‍ि प्रारंभ:  29 नवंबर 2017 को रात्र‍ि 10 बजकर 59 मिनट 
एकादशी तिथ‍ि समाप्‍त: 30 नवंबर 2017 को रात्र‍ि 9 बजकर  26 मिनट
पारण यानी व्रत खोलने का समय: 1 नवंबर 2017 को सुबह 06 बजकर 55 मिनट से रात्र‍ि 07 बजकर 12 मिनट 

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