Hartalika Teej: भगवान शिव को पाने के लिए पार्वती ने रखा था कठोर व्रत, हरतालिका तीज पर जरूर सुनें उनकी ये कथा

आध्यात्म
Updated Aug 28, 2019 | 10:02 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Hartalika Teej Vrat Katha: सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा पर्व हरताल‍िका तीज हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। आज हम आपको बता रहे हैं हरतालिका तीज व्रत कथा और महत्‍व के बारे में बताएंगे

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Hariyali teej 2019 teej vrat katha  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • इस व्रत से सुहागिन महिलाओं को माता पार्वती से अखंड सौभाग्‍यवती रहने का वरदान प्राप्‍त होता है
  • यह पूजा रातभर चलती है इसलिए इस दौरान महिलाएं पूरी रात कथा-कीर्तन करती हैं
  • शिव स्त्रोत व आरती का पाठ कर के पूजा की जाती है

Hartalika teej vrat Katha: बिहार सहित झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई इलाकों में प्रचलित हरतालिका तीज व्रत सुहागिन महिलाओं और कन्‍याओं के लिये बेहद महत्‍वपूर्ण माना जाता है। इस उपवास को मन से करने पर विवाह योग कन्‍याओं को मनचाहा वर मिलता है, वहीं सुहागिन महिलाओं को माता पार्वती से अखंड सौभाग्‍यवती रहने का वरदान प्राप्‍त होता है।

यह पूजा रातभर चलती है इसलिए इस दौरान महिलाएं पूरी रात कथा-कीर्तन करती हैं। इस समय भगवान शिव व पार्वती का बिल्वपत्र वा आम के पत्ते से अभिषेक किया जाता है। फिर शिव स्त्रोत व आरती का पाठ कर के पूजा की जाती है। प्रातः अंतिम पूजा के बाद माता गुज़री पर सिन्दूर चढ़ाके उसे सुहागन महिलाएं मांग में लगाती हैं और फ‍िर हलवे का भोग लगाया जाता है। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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हरतालिका तीज व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, मां पार्वती शिव जी को अपने पति के रूप में पाने की कोशिश कई जन्‍मों से कर रही थी। इसके लिए मां पार्वती ने हिमालय पर्वत के गंगा तट पर बाल अवस्था में अधोमुखी होकर तपस्या भी की। मां पार्वती ने इस तपस्या के दौरान अन्न और जल का पूरी तरह से त्‍याग कर दिया था। उनको इस हालत में देख कर उनके परिवार वाले बड़े चिंतित थे। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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एक दिन नारद मुनि विष्णु जी की ओर से पार्वती माता के विवाह का प्रस्ताव लेकर उनके पिता के पास गए। उनके पिता तुंरत मान गए लेकिन जब मां पार्वती को यह ज्ञात हुआ तो उनका मन काफी दुखी हुआ और वे रोने लगीं। मां पार्वती को इस पीड़ा से गुजरता देख एक सखी ने उनकी माता से कारण पूछा। देवी पार्वती की माता ने बताया कि पार्वती शिव जी को पाने के लिए तप कर रही है लेकिन उनके पिता विवाह विष्णु जी से करना चाहते हैं। पूरी बात जानने के बाद सखी ने मां पार्वती को एक वन में जाने की सलाह दी। 

मां पार्वती ने सखी की सलाह मानते हुए वन में जाकर शिव जी तपस्या में लीन हो गईं। भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मां पार्वती ने रेत से शिवलिंग बनाया और शिव स्तुति की। मां पार्वती ने रात भर शिव जी के लिये जागरण किया। काफी कठोर तपस्या के बाद शिव जी ने मां पार्वती को दर्शन देकर उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। 

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