कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है इसे धनत्रोयदशी या धनवंत्री जयंती व कुबेर जयंती के नाम से भी जाना जाता है। भगवान धनवंत्री को भगवान विष्णू जी का अवतार माना गया है। भगवान धनवंत्री समुद्र मंथन के समय हाथों में स्वर्ण कलश लेकर उत्पन्न हुए थे। ऐसा माना जाता है कि उसी कलश में अमृत भरा था जिसे पी कर सभी देवता अमर हो गए थे।
भगवान धनवंत्री के उत्पन्न होने के दो दिनों बाद ही माता लक्ष्मी उत्पन्न हुई थीं इसीलिए माना जाता है कि दीपावली के दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार पड़ता है। इस साल धनतेरस 13 नवंबर को पड़ रहा है। इस दिन देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा होती है। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताते हैं जिन्हें धनतेरस के दिन कर के आप अपने जीवन में मालामाल बन सकते हैं।
भगवान धनवंतरी की करें पूजा (Dhanvantri Pujan on Dhanteras)
धनतेरस के दिन जो लोग विशेष रूप से भगवान धनवंतरी की पूजा करते हैं उन्हें आजीवन सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है। वह हमेशा स्वस्थ जीवन व्यतीत करते हैं। भगवान विष्णु के अवतार धनवंतरी जी को ही चिकित्सा प्रणाली का जनक माना जाता है।
यम देव की करें पूजा (Yam Pujan on Dhanteras)
इस दिन खास तौर पर एक दीप यम देव को दान किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन यम देव की विधिवत तरीके से पूजा-पाठ करने पर घर में कभी भी किसी की भी अकाल मृत्यु नहीं होती है।
धनतेरस के दिन उबटन जरूर लगाएं (Ubtan on Roop Chaudas)
धनतेरस के दिन नहाने से पहले उबटन जरूर लगाएं एक बात का विशेष ध्यान रखें कि उपटन में हल्दी जरूर मिली हो। अगर आप उबटन नहीं लगा सकते तो नहाने के पानी में एक चुटकी हल्दी मिला कर नहाएं। नहाने का बाद पीला वस्त्र धारण करें और भगवान धनवंतरी की पूजा करें।
ऐसे करें धनतेरस की पूजा (Dhanteras Pujan Vidhi in hindi)
धनतेरस की पूजा करने के लिए सुबह नहा-धोकर पीले वस्त्र धारण कर के अपने पूजा स्थल पर जाएं और मंदिर को अच्छी तरह से साफ करें। मंदिर में उपस्थित सभी देवी-देवताओं को नहालाकर उनका श्रंगार करें। फिर अनाज के छोटे से ढेर पर शुद्ध देशी घी का दीपक जला कर रखें, दीपक रखते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि दीपक की लौ भगवान जी की तरफ हो।
सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें उनको कुमकुम का तिलक करें फिर भगवान विष्णू जी को हल्दी से तिलक करें और माता लक्ष्मी को कुमकुम या रोली से तिलक करना चाहिए।
भगवान को भोग लगाने के लिए शुद्ध देसी घी में पूरी तलें अब उसमें एक छोटा सा गुड़ थोड़ी सी हल्दी और एक हरा धनिया का पत्ता डाल कर भगवान को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रहे की भोग में तुलसी का पत्ता जरूर होना चाहिए क्योंकि भगवान विष्णु बिना तुलसी के कोई भी भोग स्वीकार नहीं करते हैं। पूजा के समय लक्ष्मी नारायण के मंत्र का जप जरूर करें।
मंत्र है:
`ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर।
भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्।
आ नो भजस्व राधसि।।´
गाय माता को आज के दिन यह विशेष भोग जो आपने भगवान जी को चढ़ाया था उसे खिला कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। लेकिन इस भोग को खिलाने एक तरीका है उसके अनुसार ही यह भोग खिलाना चाहिए। सबसे पहले गऊ माता की पूंछ छू कर उनको प्रणाम करें फिर उनके नेत्रों का दर्शन करें।
अब गऊ माता को पहले बिठा लें तब उनको अपना भोग खिलाएं। भोग खा लेने पर उनको प्रणाम करें। भोग लगाते समय इस मंत्र ॐ सुरभ्ये नम: का जप जरूर करते रहें। घर लौटते समय गऊ माता के खुर के पास की धूल को अपने माथे पर जरूर लगाना चाहिए। ऐसा कर के आप अपने सभी पापों से मुक्ति पा सकते हैं।
इस बात को विशेष ध्यान रखें कि जब आप गऊ माता से विदा लें तब उनके दाहिने ओर से ही निकलें। ऐसा करने से आपको गऊ माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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