Devi Darshan part 4,: मां बगलामुखी को पीताम्बरा या ब्रहमास्त्र भी कहा गया है। पीले रंग के वस्त्र पहनने के कारण उन्हें पीताम्बरा का नाम दिया गया है। माता को स्तम्भन शक्ति की देवी माना गया है।
मान्यता है कि जिस भक्त ने भी उन्हें विधिपूर्वक पूजा और उनकी आरती का गान किया उस पर कभी शत्रु की छाया भी नहीं पड़ती। माता की पूजा शत्रुओं से बचाव के लिए जरूर करनी चाहिए। एक बात हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि माता शत्रुओं से रक्षा करती हैं।
माता से शत्रुओं के नाश की कामना नहीं करनी चाहिए बल्कि खुद को शत्रुओं से बचाने की विनती करनी चाहिए। माता की पूजा में पीले रंग का विशेष महत्व होता है, इसलिए जब भी मां की पूजा करें पीले फूल-माला, वस्त्र- आसान और प्रसाद ही रखें।
पूजा पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर के करें। शत्रु और विरोधियों को शांत करने के साथ ही किसी मुकदमें में जीत के लिए मां की आराधना की जाती है, लेकिन एक बात हमेशा याद रखें विजय तभी मिलती है जब आप सही , सच्चे और निर्मल हों।
मां बगलामुखी के पूजा के नियम और सावधानियां
देवी बगलामुखी कब करें और कैसे करें
मां की आरती से पूर्व इस मंत्र का जाप जरूर कर लें।
ॐ ह्ल्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय।
जिव्हाम कीलय बुद्धिं विनाशय ह्ल्रीं ॐ स्वाहा॥
याद रखें देवी की पूजा हमेशा गलत कामों से बचने के लिए करें, न की गलत काम करने के लिए। अन्यथा इसके विपरीत परिणाम प्राप्त होंगे।
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