Turtle Ring Benefits and Rules in Hindi: ज्योतिष शास्त्र अनुसार रत्नों का विशेष महत्व है। यह ग्रहों की अशुभता को दूर करने व शुभता के लिए धारण किया जाता है। वहीं आजकल आप हर दूसरे व्यक्ति के हाथ में कछुए की शेप वाली अंगूठी जरूर देखते होंगे, वास्तुशास्त्र में इसको शुभ बताया गया है। वास्तुशास्त्र के अनुसार आपको बता दें कछुए की अंगूठी पहनने से व्यापार में तरक्की, आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी और सेहत के लिए अच्छा रहता है।
कहा जाता है यदि आप इसे धारण करते हैं तो कभी भी धन की हानि नहीं होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कछुए वाली अंगूठी को लेकर क्या हैं धारणाएं और जरूरी बातें।
मां लक्ष्मी से है सीधा संबंध (Turtle Ring connection with Devi Laxmi):
शास्त्रों के अनुसार कछुए को भगवान विष्णु का कच्छप अवतार माना जाता है। समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु ने यह अवतार लिया था। कछुए का सीधा संबंध मां लक्ष्मी से माना जाता है, क्योंकि माता की उत्पत्ति भी जल से ही हुई थी। मान्यता है कि इसे धारण करने से जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
ऐसे पहनें (How to wear Turtle Ring):
इस अंगूठी को पहनने से पहले इसकी दिशा का विशेष ध्यान रखें। जब भी कछुए की अंगूठी धारण करें तो इसका सिर वाला हिस्सा आपकी ओर होना चाहिए और पीछे का हिस्सा बाहर की ओर होना चाहिए। आपको बता दें इसे पहनने से पहले दूध या दही में भिगाकर मां लक्ष्मी के पास रखें, इसके बाद इसे गंगा जल से साफ करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी।
इस दिन पहनें (kachua ring kis din pehne):
आपको बता दें मां लक्ष्मी को शुक्रवार का दिन अत्यंत प्रिय होता है, यह स्वयं मां लक्ष्मी का दिन माना जाता है। ऐसे में शुक्रवार का दिन अंगूठी धारण करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
इस उंगली में पहनें (kachua ring kis ungli me pehne):
अक्सर लोग इस अंगूठी को किसी भी अंगुली में धारण कर लेते हैं। लेकिन आपको बता दें इस अंगूठी को तर्जनी अंगुली में ही धारण करें। इससे मां लक्ष्मी की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी।
ध्यान रहे (kachua ring rules and Savdhani):
अक्सर लोगों की आदत होती है कि वह अंगूठी पहनने के बाद खाली समय में इसको घुमाते रहते हैं। लेकिन आपको बता दें कछुए की अंगूठी अंगुली में घुमाने से धन मार्ग में रुकावट उत्पन्न हो सकती है। इसलिए इसे भूलकर भी ना घुमाएं।
साथ ही साफ सफाई या किसी अन्य कार्य के दौरान अंगूठी को उतारना पड़े तो उसे इधर उधर ना रखें। इसे उतारकर मंदिर में मां लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने रखें और पहनते समय इसे माता के चरणों से छुआकर ही धारण करें।
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