पूजा की थाली में फूल, फल, रोली, मोली के साथ ही चावल रखना भी अनिवार्य माना गया है। कोई भी पूजा हो, बिना चावल रखे उसे पूर्णता का दर्जा नहीं दिया जाता है। चावल को अक्षत भी कहा जाता है और इस नाम के साथ यह पूर्णता का प्रतीक बनता है। दरअसल, चावल का दाना, चाहे छोटा हो या बड़ा, उसे पूरा ही माना जाता है। चूंकि पूजा में कोई भी खंडित चीज नहीं रखी जा सकती है, लिहाजा चावल को पूजा की थाली में रखने का श्रेष्ठ अन्न माना गया है।
पूजा में अक्षत यानी चावल, एक विशेष मंत्र के साथ अर्पित किए जाते हैं। ये मंत्र है -
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकुमाक्ता: सुशोभिता:।
मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥ इसका अर्थ है - हे देव, कुमकुम के रंग से शोभायान हुआ ये अक्षत आपको समर्पित है। आपसे निवेदन है कि मुझ भक्त की ओर से अर्पण ये अक्षत आप ग्रहण करें। महाभारत में भी श्री कृष्ण के प्रसंग के दौरान चावल का उल्लेख हुआ है।
जानें पूजा की थाली में क्यों रखे जाते हैं चावल
पूजन में चावल के इन नियमों का पालन करके हम देवी-देवताओं तक अपनी प्रार्थना पहुंचा सकते हैं और इसका पूर्ण फल भी पा सकते हैं।
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