चावल के ब‍िना पूजा रहती है अधूरी, पूजन में माना जाता है इस बात का प्रतीक

उपाय-टोटके
Updated Sep 06, 2019 | 14:49 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

चावल को पूजा की हर थाली का अभ‍िन्‍न ह‍िस्‍सा माना गया है। त‍िलक लगाने में भी चावल का प्रयोग होता है। जानें इसे इतना पव‍ित्र क्‍यों कहा गया है और क्‍यों इसके ब‍िना देवी-देवता प्रसन्‍न नहीं होते।

Why Rice is used in every pooja, chawal ka prayog kyu hota hai
Pooja Thali  |  तस्वीर साभार: Getty Images

पूजा की थाली में फूल, फल, रोली, मोली के साथ ही चावल रखना भी अन‍िवार्य माना गया है। कोई भी पूजा हो, ब‍िना चावल रखे उसे पूर्णता का दर्जा नहीं द‍िया जाता है। चावल को अक्षत भी कहा जाता है और इस नाम के साथ यह पूर्णता का प्रतीक बनता है। दरअसल, चावल का दाना, चाहे छोटा हो या बड़ा, उसे पूरा ही माना जाता है। चूंक‍ि पूजा में कोई भी खंडित चीज नहीं रखी जा सकती है, ल‍िहाजा चावल को पूजा की थाली में रखने का श्रेष्‍ठ अन्‍न माना गया है। 

पूजा में अक्षत यानी चावल, एक व‍िशेष मंत्र के साथ अर्प‍ित क‍िए जाते हैं। ये मंत्र है - 
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकुमाक्ता: सुशोभिता:।
मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥ इसका अर्थ है - हे देव, कुमकुम के रंग से शोभायान हुआ ये अक्षत आपको समर्प‍ित है। आपसे न‍िवेदन है क‍ि मुझ भक्‍त की ओर से अर्पण ये अक्षत आप ग्रहण करें। महाभारत में भी श्री कृष्‍ण के प्रसंग के दौरान चावल का उल्‍लेख हुआ है। 

जानें पूजा की थाली में क्‍यों रखे जाते हैं चावल 

  •  पूजन में चावल रखे जाते हैं क्‍योंकि इसे देवी-देवताओं का प्रिय अन्‍न माना जाता है। ये पूर्ण खाने का भी प्रतीक है। 
  • चावल को पूर्णता का प्रतीक माना गया है। इसे देवताओं को अर्प‍ित करने का भाव यही है क‍ि हम उनको पूर्ण खाद्यान अर्पण कर रहे हैं और इसकी तरह ही हमारी पूजा भी पूरी हो और इसमें कुछ खंड‍ित न हो। 
  • चावल का सफेद रंग शांत‍ि का प्रतीक भी माना गया है। इसका भाव है क‍ि हम शांत च‍ित के साथ पूजा में बैठें और उसे संपन्‍न करें। 
  • पूजा की थाली में धुले चावल नहीं रखने चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्‍यान रखा जाए क‍ि इनमें कीड़ा न लगा हो और ये साफ बर्तन में रखे गए हों। 
  • पूजा के इस्‍तेमाल में लाए गए चावल अन्‍य सामग्री के साथ प्रवाह‍ित करें या म‍िट्टी में दबा दें। 

पूजन में चावल के इन न‍ियमों का पालन करके हम देवी-देवताओं तक अपनी प्रार्थना पहुंचा सकते हैं और इसका पूर्ण फल भी पा सकते हैं। 

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