घर-ऑफिस या किसी भी स्थान पर वास्तु नियमों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि वास्तु नियमों के अनुसार यदि निर्माण न हो तो उसमें रहने या काम करने वाले लोगों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। घर, ऑफिस या फैक्ट्री आदि में वास्तु पूजा बहुत मायने रखती है। भूमि भूजन से लेकर घर निर्माण या घर की साज-सज्जा तक में वास्तु नियमों का ध्यान देना जरूरी होता है, क्योंकि यदि वास्तु नियमों की अवहेलना हाने पर सुख-शांति तक प्रभावित होने लगती है। तो क्या आपको पता है कि वास्तु पूजा किसकी होती है? ये वास्तु पुरुष कौन है? या इन्हें प्रसन्न कैसे किया जा सकता है। तो आइए आपको इसके बारे में बताएं।
भवन के मूल संरक्षक होते हैं वास्तु पुरुष (story behind vastu purusha)
वास्तु पुरुष को ही भवन का मूल संरक्षक माना गया है। एक दंतकथा के मुताबिक एक बार देव और असुर के बीच संग्राम हो रहा था और युद्ध करते समय भगवान शिव को बहुत आया और वह जमीन पर गिर गया। पसीने की बूंद से एक विशालकाय पुरुष बन गया और वह असुरों को खाने लगा, लेकिन इसके बाद भी उसकी भूख नहीं मिटी तो उसने भगवान शिव से तीनों लोक को खाने की आज्ञा मांगी। शिव जी ने जैसे ही आज्ञा दी को तेज़ी से भूलोक की ओर दौड़ा, उसे देखकर समस्त देवतागण और ब्रह्माजी परेशान हो गए। देवताओं में ब्रह्माजी से इसका निराकरण करने को कहा तब उन्होंने बताया कि यदि यह पुरुष औंधे मुंह गिर जाए तो वह कुछ नहीं खा सकेगा।
तब देवताओं ने ज़ोर लगाकर उसे धरती पर औंधे मुंह गिरा दिया और सभी उसके ऊपर से चढ़कर उसे दबा दिए ताकि वह कुछ भी न खा सके। तब उस विशालकाय पुरुष ने ब्रह्माजी की अधीनता स्वीकार कर कहा कि वह उनके साथ ही रहेगा। तब ब्रह्माजी ने उसे वरदान दिया की हर तीन महीने में तुम दिशा बदलोगे और धरती पर किसी भी निर्माण कार्य से पहले तुम्हारी पूजा अनिवार्य होगी। अगर ऐसा न किया गया तो तुम उन्हें सता सकते हो। तो यह विशालकाय पुरुष ही वास्तु पुरुष बने और इनकी पूजा अनिर्वाय हो गई।
वास्तु पुरुष की प्रतिमा (vastu purush image)
मकान, भवन या कोई भी निर्माण स्थल को शुद्धता प्रदान करनी हो वहां पर वास्तु पुरुष की प्रतिमा स्थापित जरूर करना चाहिए। वास्तु पुरुष की पूजा करने के साथ ही उन्हें हर आमवस्या और पूर्णिमा के दिन नैवेद्य जरूर चढ़ाना चाहिए।
वास्तु पुरुष को प्रसन्न करने के लिए चढ़ाएं ये प्रसाद (how to please vastu purush)
वास्तु पुरुष की पूजा के साथ उन्हें भोग जरूर लगाना चाहिए। खास कर अमावस्या और पूर्णिमा के दिन उन्हें सात्विक भोजन का भोग लगाना चाहिए। उसमें कुछ न कुछ मीठी चीज जरूर शामिल करें। साथ ही भोग के बाद वास्तु पुरुष का आचमन करें और घर के मुखिया को सर्वप्रथम प्रसाद खिलाएं। इससे घर में सुख-समृद्धि और धन की वर्षा होती है।
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